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कृषि वैज्ञानिकों ने रोग-कीटों से बचाव का दिया प्रशिक्षण

locationसिवनीPublished: Jul 18, 2019 12:00:22 pm

Submitted by:

santosh dubey

समसामयिक कृषि प्रबंधन पर हुआ एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

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कृषि वैज्ञानिकों ने रोग-कीटों से बचाव का दिया प्रशिक्षण

सिवनी. कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल, डॉ. एपी भंडारकर वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक, डॉ. केके देशमुख मृदा वैज्ञानिक द्वारा मंगलवार को केवलारी विकासखंड के अंतर्गत आत्मा परियोजना में कार्यरत कृषक मित्र एवं कृषक दीदी एवं उत्साही कृषकों को खरीफ फसलों के लिए समसामयिक कृषि प्रबंधन पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डांॅ. शेखर सिंह बघेल ने बताया कि कृषि के कार्य में हमारे कृषक पूर्ण समर्पण से कार्य करें, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग के साथ ही भूमि का स्वास्थ्य का ध्यान रख कर कृषक कार्य करें, कृषि में रासायनिक दवाओं एवं खादों का सही व अनुशंषित मात्रा का प्रयोग करें एवं ज्यादा से ज्यादा खेती कार्य पर्यावरण अनुकूल हो ताकि इसका व्यापक लाभ कृषक को प्राप्त होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के कीट वैज्ञानिक, डॉ. एपी भंडारकर ने धान-मक्का-अरहर की खेती में आने वाले रोग-कीटों के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण प्रदान किया समन्वित रोग कीट प्रबंधन पर विस्तार पूर्वक प्रचार-प्रसार एवं तकनीकी ज्ञान प्रदान किया गया। साथ ही डॉ. एपी भंडारकर ने मक्के के फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान, इल्ली के नुकसान से बचाव के लिए निम्नलिखित दवाओं की सलाह प्रदान की।
कीट की प्रारंभिक अवस्था में लकड़ी का बुरादा, राख एवं बारीक रेत पौधे की पोंगली में डालें। फेरोमेनट्रेप फ्यूजीपरडा 30-35 प्रति हेक्टेयर की दर से बोनी के तुरंत उपरांत लगवायें। जिसमें वयस्क नर कीट आकर्षित होते हैं।
जैविक कीटनाशक के रूप में बीटी 1 किग्रा या बिवेरिया बेसियाना 1.5 ली. प्रति हेक्टर का छिड़काव सुबह अथवा शाम के समय करें। नीम बीज अर्क 5 प्रतिशत पांच मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर 500 से 600 लीटर का घोल प्रति हेक्टेयर दर से उपयोग करें।
लगभग पांच प्रतिशत से अधिक प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशक के रूप में फ्लूबेन्डामाइट 480 एससी 150-200 मिली या स्पाइनोसेड 45 ईसी 250 ग्राम या एमामेक्टिन बेंजोएट पांच प्रतिशत एसजी 200 ग्राम या थायोडीकार्प 75 डब्लू जी. 7 किलो या क्लोरइंट्रेनिलीप्रोल 18.5 एस. सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टर की दर से छिडकाव करें (पानी के मात्र 500 से 600 लीटर) दानेदार कीटनाषकों पौधे की पोंगली में अवष्य डालें। कीटनाषकों का प्रयोग बदल बदल करें। 15 से 20 दिन अंतराल पर 2-3 छिडकाव करें।
जहर चारा 10 कि.ग्रा. चावल की भूसी-2 किग्रा गुड 2-3 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे के लिए रखें। इसके उपरांत 100 ग्राम थायोडीकार्ब दवा मिलाकर आधे घंटे के उपरांत मक्के की पोंगली में डालें।
इस प्रकार मक्का फसल की वर्तमान समस्या फाल आर्मी वर्म कीट का सहीं कीटनाशक दवा का उपयोग कर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
प्रशिक्षण के दौरान मृदा वैज्ञानिक डॉ. केके देशमुख ने खरीफ फसलों में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य पत्रक की उपयोगिता के साथ धान की फसल में लगने वाले रोग-कीटों की समस्या एवं समाधान पर उचित मार्गदर्शन एवं सलाह प्रदान की गई। प्रशिक्षण के उपरांत मक्के की खेती कर रहे कृषकों के खेतों भ्रमण कर त्वरित निदान, तकनीकी सलाह एवं फोल्डर प्रदान किए गए।
इस अति उपयोगी एक दिवसीय प्रशिक्षण में 60-70 प्रशिक्षणार्थी ने भाग लिया। इस समसामयिक प्रशिक्षण के आयोजन में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी केवलारी एम. आरमरावी, एआर मालाधरे, डीएस नेताम, आइपीएस भलावी, एसजी झारिया, एसके उईके, एनके पाठक, आर. मार्को, जानकी कुमरे, एसके भलावी, एमके पटले आदि का अति महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।

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