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विधानसभा में गूंजा सिवनी मेडिकल कॉलेल का मुद्दा

locationसिवनीPublished: Jul 11, 2019 11:54:34 am

Submitted by:

akhilesh thakur

विधायक दिनेश राय ने पूछे सवाल, संबंधित मंत्री ने दिया जवाब

 After applying trust related questions to the legislator's assembly

After applying trust related questions to the legislator’s assembly

सिवनी. विधानसभा में सिवनी मेडिकल कॉलेज का मुद्दा गूंजा है। विधायक दिनेश राय मुनमुन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूछा कि क्या वे यह बताएंगे कि जिले में मेडिकल कालेज प्रारंभ किए जाने हेतु चल रहे निर्माण को क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा कब तक पूर्ण कर लिया जाएगा। जिले के आमजनों की चिकित्सा सुविधा को देखते हुए सिवनी मेडिकल को प्रारंभ किए जाने के संबंध में संपूर्ण औपचारिकताओं व प्रक्रियाओं को कब तक पूर्ण करते हुए मेडिकल कालेज को प्रारंभ किया जाएगा। कालेज को प्रारंभ किए जाने में विभाग द्वारा किये जा रहे विलंब का क्या कारण है?
विधायक राय के उक्त प्रश्न का उत्तर देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि जी नहीं। मंत्री परिषद से अक्टूबर 2018 में अनुमति के बाद पांच मार्च 2019 में कलेक्टर से भूमि प्राप्त होकर निर्माण एजेंसी द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है। समय-सीमा बताई जाना संभव नही है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। विधानसभा सत्र के दौरान ग्रीष्म ऋतु में पेयजल संकट के संबंध में विधायक के प्रश्न का उत्तर देते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि सिवनी विधानसभा क्षेत्र के सिवनी विकासखंड के ग्राम मारबोडी, घाटपिपरिया, लुंगसा, जमुनिया, महुआटोला बिहीरिया, रनबेली, जटलापुर माल, जटलापुर रैययत, डुंगरिया, सरगापुर, भाटीवाडा, महलोन, पांजरा, सिहोरा, देवरी, डोरली छतरपुर, ढानाटोला, मढवा, किसनपुर, बिहीरिया, फुलारा, कारीरात, घोटी, नरेला एवं छपारा विकासखंड के ग्राम दिघोरी टोला, सोडावारी, गुंदरई, गुगीटोला, सुकरी, चिखली, अटामा, मुआरी, बीजादेवरी, ढुक्कीटोला, तुलफ रैययत, चंदेनी, सूखामाल, सागर, देवरी कला में ग्रीष्म ऋतु में पेयजल संकट उत्पन्न होता है। प्रश्नांकित अवधि में जिला योजना समिति की बैठक में इस संबंध में कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है। पेयजल संकट वाले अन्य क्षेत्रों में वित्तीय संयोजन के आधार पर आवश्यकतानुसार नवीन नलकूपों का खनन कर हैण्डपंप स्थापना का कार्य जलस्तर नीचे जाने से बंद हैण्डपंपों में राइजर पाइप बढाने एवं सिंगलफेस मोटरपंप स्थापित कर पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती है। सिवनी विकासखंड का औसत जल स्तर 46.83 मीटर एवं छपारा विकासखं में औसत जलस्तर 32.33 मीटर है। आगे विधायक राय द्वारा किए गए प्रश्न का उत्तर देते हुए खाघ मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर ने कहा कि जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत 2,54,280 परिवारों के 1071,869 हितग्राहियों को पात्रता पर्ची जारी कर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ दिया जा रहा है, जो कि 2011 की जनसंख्या अनुसार 77.72 प्रतिशत है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत प्रदेश की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 75 प्रतिशत आबादी की सीमा तक ही लाभ दिया जा सकता है। इस सीमा से अधिक हितग्राहियों को लाभांवित करने का प्रावधान अधिनियाम की धारा-3 के अंतर्गत नहीं है। पात्र परिवारों को स्थानीय निकाय द्वारा सत्यापन उपरांत पात्रता पर्ची जारी की जाती है। वर्तमान में शामिल पात्र परिवारों में से हितग्राही की मृत्यु होने, विवाह होने से, अन्य स्थान पर निवास करने एवं पात्रता श्रेणी में न रहने के कारण हितग्राही की पात्रता में परिवर्तन होना एक निरंतर प्रकिया है। तदानुसार नवीन पात्रता पर्ची निर्धारित सीमा में जारी की जाती है। जिले में एक मई 2017 की स्थिति में परिवारों की संख्या के विरूद्ध जितने अपात्र परिवारों को पोर्टल पर विलोपित किया जाता है। उतनी ही संख्या में संबंधित जिले के नवीन सत्यापित परिवारों को शामिल किया जाता है। सिवनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 55,972 वैद्य पात्रता पर्चीधारी परिवार है।
सिवनी विधायक राय ने संचालित नलजल योजनाओं के संबंध में किए गए प्रश्न का उत्तर देते हुए मंत्री पांसे ने कहा कि सिवनी विधानसभा क्षेत्र में 1670 हैण्डपंप स्थापित है। प्रश्न दिनांक की स्थिति में 1351 चालू तथा 319 हैण्डपंप बंद है। हस्तांतरित बंद योजनाओं में श्रोत के अभाव को छोड़कर अन्य कारणों से बंद योजनाओं के संचालन संधारण का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायतों का है तथा हैण्डपंप संधारण की सतत प्रक्रिया के तहत हैण्डपंपों को अधिकतम 15 दिवस में सुधार कर चालू किया जाता है। निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नही है। बंद नलजल योजनाएं यथाशीघ्र चालू की जा सकें। इसके लिए राज्य शासन द्वारा जिले के कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति को 20 लाख रुपए प्रति योजना प्रति वर्ष तक के मरम्मत व संधारण कार्यों की स्वीकृति के अधिकार सौंपे गए हैं।

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