जन्मे रघुराई, घर-घर बज रही बधाई…
सिवनीPublished: Apr 14, 2019 11:18:38 am
रामकथा के चौथे दिन देवरीकला में मनाया राम जन्म उत्सव
सिवनी. लंका नरेश दशासन के अत्याचार से चहुंओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसे में अत्याचार का नाश करने अयोध्या में राजा दशरथ के घर प्रभु राम का जन्म हुआ। श्रीराम के जन्म से जहां अयोध्या आल्हादित हो गई, वहीं देवताओं ने भी हर्ष मनाया। जन्म के समय ही निमित्त ज्ञानी ने राजा-रानी को बताया कि यह बालक हाथी के समान शक्तिशाली, धीर-गंभीर होगा। शेर की तरह पराक्रमी होगा। सूर्य के समान तेजस्वी होने के साथ ही चंद्रमा की तरह शीतल व्यक्तित्व का धनी होगा। उसे क्रोध का स्पर्श नहीं के बराबर होगा। रामायण के प्रसंगों का सारगर्भित उपदेश देवरीकला गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा अमृत वर्षा के चौथे दिन संगीतमय कथावाचक अतुल महाराज रामायणी ने श्रद्वालुओं के मध्य दिए।
रामायणी ने कहा कि कि कैकसी के पुत्र दशानन ने पराक्रम के साथ कई विद्याएं भी सीखी थीं। उसका भाई कुंभकर्ण और बहन शूर्पनखा को भी मायावी विद्याओं में महारथ हासिल थी। जिसके चलते दशानन ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया था। देव-मानव सभी उसके आतंक से भयाक्रांत थे। इधर राजा दशरथ की रानी कौशल्या ने रात्रि के गंधर्व काल (ब्रम्ह मुहुर्त) में चार स्वप्न देखे। इसमें क्रमश: सफेद हाथी, शेर, सूर्य और चंद्रमा के दर्शन हुए। स्वप्न देखने के बाद से ही रानी का शरीर पुलकित हो उठा। उनका मुखड़ा खिल उठा। सुबह कौशल्या ने स्वप्न की बात राजा दशरथ को बताई। उन्होंने तत्काल ज्योतिषी को बुलाया। उसने बताया कि हे राजन, महारानी कुछ माह के उपरांत एक महापुरुष को जन्म देने वाली हैं। वह मर्यादा पुरुषोत्तम होगा। वह ब्रह्मलोक से अवतरित हो चुका है। वह धीर-गंभीर, पराक्रमी, सूर्य के समान तेजस्वी और चंद्रमा के समान शीतल व्यक्तित्व वाला होगा।
बताया कि राम एक धीर-वीर महापुरुष थे। जो धीर-वीर होते हैं, वो उत्तेजित नहीं होते। लेकिन मर्यादा को तोड़े बिना ऐसा काम कर डालते हैं, जो संसार में कोई दूसरा कर ही नहीं सकता। कौशल्या को पुत्र को जल्द से जल्द देखने की अभिलाषा बढऩे लगी। गर्भकाल पूरा होने पर भगवान राम का जन्म हुआ। इसी तरह स्वप्न के आधार पर अन्य रानियों से भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। चारों में से राम का नाम दो अक्षर का रखा गया, बाकी तीनों पुत्रों का नाम तीन अक्षर का रखा गया। सूने महल में किलकारियां गूंजने से अयोध्या नगरी आल्हादित हो गई। धीरे-धीरे बालकों के बड़े होने पर राजा दशरथ ने उन्हें शिक्षा के लिए गुरुकुल भेजने की तैयारी की। रामायणी ने आगे कहा जो वाणी करुणा से उत्पन्न होती है, वह शांति का मार्ग दर्शाने वाली होती है। उसका प्रभाव पशुओं पर भी पड़ता है। कथा स्थल पर श्रद्वालुओं का पहुंचना लगातार जारी है। कथा प्रांगण पर राम जन्म उत्सव की झांकी सजाई गई, बधाई बजाई व गाई गई। श्रद्धालु भी भाव से झूम उठे।