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आत्मा रूपी राम ने शांति रूपी सीता की खोज में विचार रूप हनुमान को अविद्या रूपी लंका में भेजा : ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप

locationसिवनीPublished: Jun 08, 2018 12:18:56 pm

Submitted by:

santosh dubey

सात दिवसीय हनुमत कथा सत्संग महोत्सव परतापुर भैरोगंज में

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अष्ट सिद्धियां देंगे हनुमान जी हर मंगलवार शाम को करें इस मंत्र जप

सिवनी. हनुमानजी के दिव्य कर्मों से वर्तमान पीढ़ी को प्रेरणा लेना चाहिए। सत्संग का पुण्य सर्वोपरि है। यदि सुखी होना है तो अपने से कम साधन सुख प्राप्त लोगों को देखें और विद्या प्राप्त करना हो तो बड़ों का अनुसरण करें। उक्ताशय की बात ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप ने हनुमान व्यामशाला परतापुर रोड भैरोगंज सिवनी में आयोजित सात दिवसीय हनुमत कथा सत्संग महोत्सव के तीसरे दिन के कथा प्रसंग में श्रद्धालुजनों से कही।
उन्होंने आगे कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम अवतार के पूर्व लंका दहन की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी थी। जन-जन के हृदय सिहांसन पर आरूढ़ मारुति नंदन हनुमान रामायण में ऐसा चरित्र है जिसके बिना रामायण में खालीपन महसूस होगा। अयोध्या में राम के प्रकट होने पर भगवान शंकर के साथ वानर रूप में हनुमानजी ने बाल रूप राम का दर्शन किया। तथा कुछ समय तक श्रीराम के साथ बाल लीलाएं किया। बाद में किष्किंधा कांड में पुन: हनुमानजी का श्रीराम से मिलन और संभाषण हुआ।
हनुमत कथा नई पीढ़ी में ब्रह्मचर्य के पालन के लिए प्रेरक प्रसंग है। हनुमान की कर्मनिष्ठा से हमें प्रेरणा लेना चाहिए। कथा केवल तठस्थ होकर नहीं कथा से स्वयं को जोड़कर सुनना चाहिए।
महाराज ने सुंदरकांड की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए कहा कि माया के तीन गुण सतोगुण, रजोगुण एवं तमोगुण का दर्शन हमें सुंदरकांड में मिलता है। राम काज के लिए संकल्पित हनुमान को मैना पर्वत, सुरसा एवं राहु पुत्री सिंहका ने रोकने और दिग्भ्रमित करने का असफल प्रयास किया। सतोगुण रूपी मैना पर्वत द्वारा हनुमान से विश्राम का आग्रह, रजोगुण रूपी सुरसा द्वारा हनुमान से प्रतिस्पर्धा तमोगुण रूपी सिंहका द्वारा बाधा उत्पन्न करना वास्तव में तीन प्रकार की ऐषणा हैं। जिनका फल सुख-दुख एवम अज्ञान होता है। हनुमान ने तीनों पर विजय प्राप्त कर अपने लक्ष्य को हासिल किया। सुरसा रूपी लोकेशना सबको ग्रस लेना चाहती है। लोकेशना से विजय प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा ना करके स्वयं को लघु बना लेना ही एकमात्र उपाय है। राजो गुण की लोकेशन को सरलता से समझाने के लिए ब्रह्मचारीजी ने दक्ष प्रजापति के निराधार क्रोध का दृष्टांत सुनाया।
हनुमत कथा सत्संग सप्ताह के तीसरे दिन आरती एवं माल्यार्पण में आचार्य सनत कुमार उपाध्याय, आचार्य सोनू महाराज, ओमप्रकाश तिवारी, प. अशोक तिवारी, करतार सिंह बघेल, ममता बघेल आदि मौजूद थे।

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