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वैनगंगा नदी तट पर जुटे ब्राम्हणों ने किया ऋषि पूजन, तीर्थ प्रार्थना

locationसिवनीPublished: Aug 28, 2018 01:01:57 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

वैनगंगा के लखनवाड़ा घाट में वेदपाठी, विद्वतजन हुए शामिल

seoni

वैनगंगा नदी तट पर जुटे ब्राम्हणों ने किया ऋषि पूजन, तीर्थ प्रार्थना

सिवनी. श्रावण शुक्लपक्ष पूर्णिमा उपाकर्म का प्रसिद्ध काल श्रावणी पर्व रविवार को वैनगंगा के पावन तट लखनवाड़ा घाट में प्रात: 10 बजे विद्वतजनों के साथ वैदिक विधि विधान से मनाया गया। श्रावणी विशेषकर ब्राह्मणों अथवा पण्डितों का पर्व है। वेदपारायण के आरम्भ को उपाकर्म में यज्ञोपवीत के पूजन का भी विधान है। श्रावणी पर्व के पूर्वघर में स्नान, संध्यावंदन, नित्यकर्म आदि करके श्रावणी कर्म करने के लिए वैनगंगा पावन तट लखनवाड़ा पहुंच पंचगव्य प्राशन व पवित्रीधारण कर तीर्थ प्रार्थना की गई। इसके बाद हेमाद्रिसंकल्प किया गया।
मिट्टी, धान्य, द्रव्य, फल, पुष्प, भस्म, गोमय इत्यादि विविध उपचारों से स्नान के बाद विद्वतजनों के द्वारा अपामार्ग, दूर्वा से मार्जन किया गया। इसके पश्चात पवित्र होकर गौरी, गणेश, कलश, सप्तऋषियों का पूजन, यज्ञोपवीत पूजन का वैदिक विधि से किया गया। इसके पश्चात पुराने यज्ञोपवीत को बदलकर नया यज्ञोपवीत धारण किया गया। ब्राह्मणों ने श्रद्धा व उत्साह से भाग लेकर मुख्य पर्व को विधि विधान से किया।
इस अवसर पर मातृधाम के प्रभारी रहे पंडित गौरीशंकर तिवारी का स्मरण किया गया और श्रावणी पर्व की परम्परा का निर्वाहन का संकल्प विद्वतजनों द्वारा दोहराया गया। विद्वतजनों और विप्रजनों की ओर आचार्य पंडित रूपराम द्विवेदी ने तिवारी को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि तिवारी द्वारा ब्राम्हणों का मुख्य पर्व श्रावणी पर्व का वैदिक विधि-विधान की परम्परा का आरंभ किया था जो उनके तैयार विद्वानों द्वारा आज विधिवत् सम्पन्न करना उनके श्रावणी पर्व की श्रद्धा को व्यक्त करता है।
बताया कि तिवारी समय-समय पर ब्राम्हणों का यज्ञोपवीत संस्कार कराते, श्रावणी पर्व की महत्ता बताते और द्विजों के वेदाध्ययन की प्रेरित करतेे थे। उनके द्वारा किए आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक जागृति के कार्य अविस्मरणीय है। इस वर्ष श्रावणी पर्व का समस्त वैदिक विधि विधान धर्मवीर अजित तिवारी के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न किए गए। इस अवसर पर रूपराम द्विवेदी, प्रशांत तिवारी, अतुल दुबे, संजय तिवारी, नीरज भार्गव, वंशीधर शास्त्री, दीपक शास्त्री, विजय तिवारी, राकेश दुबे, धीरज शर्मा, आचार्य पवन चतुर्वेदी, मुरधीधर मिश्रा, विकास तिवारी, आशुतोष तिवारी, अनन्त प्रियव्रत सहित शंकराचार्य न्याय वेदांत महाविद्यालय के वेदपाठी छात्र एवं अन्य की उपस्थिति रही।

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