scriptगाजर घास फसल, मानव व पशुओं के लिए हानिकारक | Carrot grass crop, harmful to humans and animals | Patrika News

गाजर घास फसल, मानव व पशुओं के लिए हानिकारक

locationसिवनीPublished: Aug 23, 2019 04:34:09 pm

Submitted by:

santosh dubey

कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी में गाजरघास उन्मूलन एवं जागरुकता कार्याक्रम आयोजित

गाजर घास फसल, मानव व पशुओं के लिए हानिकारक

गाजर घास फसल, मानव व पशुओं के लिए हानिकारक

सिवनी. कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) के अंतर्गत छात्राओं द्वारा आज गाजरघास उन्मूलन सप्ताह 16 से 22 अगस्त के अंतर्गत गाजर घास का उन्मूलन के लिए वृहद स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के आस-पास एवं प्रक्षेत्र में गाजरघास को जड़ सहित उखाडकर नष्ट किया गया। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के सभी वैज्ञानिक, कर्मचारी एवं कृषकों की भागीदारी रही।
कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल के द्वारा गाजर घास के प्रबंधन विषय पर बनाई गई फिल्म का प्रदर्शन किया गया, साथ ही गाजर घास के प्रबंधन के लिए गाजरघास के पौधों से फूल आने से पहले जड़ सहित उखाडकर नष्ट करें, गाजर घास को हमेशा हाथ में दस्ताने आदि पहनकर उखाडऩा चाहिए।
इससे खाद्यान्न फसल की पैदावार में लगभग चार प्रतिशत तक की कमी आकी गई है। इस पौधे में पाए जाने वाले एक विषाक्त पदार्थ पार्थेनिन के कारण फसलों के अंकुरण एवं वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस खरपतवार के लगातार संपर्क में आने से मनुष्यों में डरमेटाइटिस, एक्जिमा, एलर्जी, बुखार, से दमा आदि की बीमारियां हो जाती है। पशुओं के लिए भी यह हानिकारक है। इससे उनमें कई प्रकार के रोग हो जाते है एवं दुधारू पशुओं के दूध में कड़वाहट आने लगती है। पशुओं द्वारा अधिक मात्रा में इसे खाने से उनकी मृत्यु भी हो सकती है इसकी रोकथाम के लिए खरपतवार को फूल आने से पहले उखाड़ कर जला देना चाहिए ताकि इसके बीज न बन पाएं और न फैल पाएं। खरपतवार को उखाड़ते समय दस्ताने पहनने चाहिए।
उन्होंने बताया कि गाजर घास पर 20 प्रतिशत साधारण नमक का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। शाकनाशी रसायनों में ग्लाइफोसेट 2, 4 डी, मेट्रीब्युजिन, एट्राजीन, सिमेजिन, एलाक्लोर और डाइयूरान आदि का भी उपयोग कर सकते है।
इस मौके पर कीट वैज्ञानिक डांॅ. एपी भंडारकर, रावे प्रभारी डॉ. केके देशमुख, डॉ. पीके सिंह, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. आरपी दुबे, अर्जुन गोठी, डॉ. शेखरसिंह बघेल, इंजी एसके चौरसिया, डांॅ. एनके सिंह, जीके राणा, डॉ. किरन पाल सिंह सैनी, आभा श्रीवास्तव, देवी प्रसाद तिवारी, शिवशंकर मिश्रा, पवन गढेवाल, हिमांशु कुमारे, जयशंकर गौतम आदि मौजूद थे।

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