सिवनीPublished: Oct 15, 2019 11:52:09 am
santosh dubey
राम नाम जपकर वाल्मीकि ने रचा विश्व का पहला महाकाव्य : पाण्डेय
गौ, गीता, गंगा महामंच ने मनाई वाल्मीकि जयंती
सिवनी. गौ, गीता, गंगा महामंच की ओर से संस्कृत के आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की जंयती मनाई गई। जिसके मुख्य अतिथि लक्ष्मीनारायण मंदिर के पुजारी पं हेमंत त्रिवेदी थे। इस अवसर पर मुख्यवक्ता के रूप में समाजसेवी गौ, गीता, गंगा महामंच के अध्यक्ष पं. रविकान्त पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि ज्ञान एवं कर्म के दम पर मानव महान बनता है। इसका जीता जागता उदाहरण डाकू रत्नाकर से महर्षि बने वाल्मीकिजी है।
गौ, गीता, गंगा महामंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम वैदिक विधि विधान से विद्वत परिषद के आचार्यगणों द्वारा महर्षि का पूजन किया गया। इसके पश्चात महामंच के अध्यक्ष ने उपस्थित गणमान्यों का स्वागत कर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मानव कल्याण के लिए महर्षियों का जीवन अनुकरणीय है। महर्षि ने संस्कृत में ऐतिहासिक ग्रंथ रामायण की रचना की जो आदि काब्य ग्रंथ है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम को मर्यादा पुरुष के रूप में भारत के घर-घर में पहुंचाने का सर्वप्रथम कार्य महर्षि वाल्मीकि ने ही किया है। डाकू रत्नाकर को नारदजी ने जब सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया तो उन्हें राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया था, परंतु वह राम-नाम का उच्चारण नहीं कर पाते तब नारद जी ने विचार करके उनसे मरा-मरा जपने के लिए कहा और मरा रटते-रटते यही राम हो गया और निरन्तर जप करते-करते हुए वह ऋषि वाल्मीकि बन गए।
वहीं मुख्य अतिथि पं. हेमंत त्रिवेदी ने कहा कि आदमी जन्म कही भी ले पर अपने कर्म एवं हठ के दम पर महान बनता है, जो वाल्मीकि जी ने किया। अरविन्द करोसिया ने वाल्मीकिजी के बारे में बताया कि जो राम का उच्चारण भी ठीक से नही कर पाते थे वे कर्म एवं लगन से आदि कवि बन गए और कालजयी ग्रंथ रामायण की रचना कर डाली। कवि के रूप में जित्तू पाठक एवं संजय मिश्र गिरीश ने भी अपनी-अपनी भूमिका का निर्वाहन बाखूबी किया और बाल्मीकिजी पर रोचक एवं मर्मस्र्पर्शी कविताएं सुनाई। समाजसेवी एवं गौ सेवक बंटी यादव ने भी इनके पद चिन्हों पर चलने को कहा। वहीं इस क्षेत्र के कई गन्य मान्य जिनमें पं. राजेश मिश्र, पं. विजय मिश्र अनुश्री, गोविंदा कुशवाहा, रामकुमार चिंटोले, भरत अहिरवार, सुनिता झारिया आदि मौजूद रहे।