यदि जीवन में आपने कोई ‘गोलÓ डिसाइड किया है तो उसमें भटकाव नहीं होना चाहिए। एक समय लगातार प्रयास के बाद जब सफलता नहीं मिल रही थी तो मैंने एलएलएम करने के बारे में सोचा। इसबीच भूपेश मिश्रा सर और पापा ने मेरा मनोबल बढ़ाया। बोला एक मौका और लो। फिर मैंने असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाई और जज बन गई।
– शबाना खान, चयनित सिविल जज
बतौर रविशंकर भलावी तीन बार के प्रयास के बाद यह सफलता मिली है। मेरे इस सफलता में मां-बाप के अलावा चेचेर भाई यशवंत शरण सिंह उइके और प्रदीप मरावी (दोनों शिक्षक) का विशेष योगदान है। दोनों ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है। बताया कि मेरे भाई और परिजन शुरू से ही मेरे लिए कुछ अलग सोचते थे। आधुनिकता के दौैर में युवाओं का मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ बढ़ते रूझान के बीच स्कूल की पढ़ाई उत्कृष्ट विद्यालय छपारा में करने के बाद मुझे चचेरे भाइयों ने सिविल जज बनने की सलाह दी। इकलौता पुत्र के बावजूद शिक्षक पिता ने मुझे इंदौर में कॉलेज व कानून की पढ़ाई के लिए भेजा। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं वहीं पर तैयारी शुरू कर दिया। रविशंकर की सफलता पर सबसे अधिक खुशी उसके मां-बाप को है। रविशंकर के पिता शुरू से ही बेटे को बड़े ओहदे पर देखना चाहते थे। रविशंकर ने उनका यह सपना पूरा कर दिया। रविशंकर की दो बहने हैं। मां सावित्री भलावी गृहिणी है।
पिता ने कहा जो चाहो करो, मैं तुम्हारे साथ
पिता ने मेरे ऊपर बहुत भरोसा किया। उन्होंने मुझे पूरी छूट दी। उन्होंने मेरे कैरियर को लेकर भी कभी दबाव नहीं बनाया। उनका कहना था कि मैं जो चाहू करूं, वे मेरा सहयोग करेंगे। आज मैं उनके भरोसे पर मैं खरा उतरा हूं। यह मेरे लिए गौरान्वित होने का क्षण है।
– रविशंकर भलावी, चयनित सिविल जज