scriptडेयरी संचालक की बेटी शबाना और शिक्षक पुत्र रविशंकर बने सिविल जज | Dairy operator's daughter Shabana and teacher son Ravi Shankar became | Patrika News

डेयरी संचालक की बेटी शबाना और शिक्षक पुत्र रविशंकर बने सिविल जज

locationसिवनीPublished: Aug 24, 2019 11:48:29 am

Submitted by:

mantosh singh

लखनादौन की बेटी और खुर्सीपार के लाल ने किया कमाल, सिवनी गौरवान्वित

डेयरी संचालक की बेटी शबाना और शिक्षक पुत्र रविशंकर बने सिविल जज

डेयरी संचालक की बेटी शबाना और शिक्षक पुत्र रविशंकर बने सिविल जज

सिवनी. जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर लखनादौन की बेटी और 38 किमी दूर खुर्सीपार के लाल ने कमाल किया है। दोनों ने सिविल जज बनकर नगर और गांव के साथ जिले को गौरवान्वित किया है। दोनों की इस सफलता के बाद से उनको तथा परिजनों को बधाई देने का क्रम जारी है। लखनादौन निवासी शबाना खान डेयरी संचालक मो. खलील खान की पुत्री है। खुर्सीपार निवासी रविशंकर भलावी शिक्षक पीआर भलावी के पुत्र हैं।
बतौर शबाना पापा मुझे सिविल जज बनाना चाहते थे। मैं आकाशवाणी जबलपुर में उद्घोषक की आठ से 10 घंटे की नौकरी करने के बाद करीब नौ घंटे पढ़ाई करती थी। नौकरी और पढ़ाई में सामंजस्य बैठाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। तीन वर्ष पूर्व नौकरी से इस्तीफा दिया और सुबह से देर रात तक बिना समय देखे पढ़ाई की। अब सिविल जज बनकर मैंने पापा का सपना पूरा कर दिया है। मैंने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई लखनादौन में की। कानून की पढ़ाई जबलपुर में किया। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान लखनादौन में नौकरी की। जबलपुर में जब आर्थिक समस्या आई तो वहां भी मैंने आकाशवाणी में नौकरी शुरू किया था। मेरी सफलता में परिवार के अलावा एडवाकेट अमित जैन, एडवोकेट प्रियंका जैन, उमाकांत सोनी व वरुण चौहान सर का विशेष योगदान रहा। शबाना चार बहन व एक भाई में अपने मां-बाप की तीसरे नंबर की संतान है। उसकी बड़ी बहन सलमा खान जिला न्यायालय सिवनी में डीडब्लू पद पर पदस्थ हैं। छोटी बहन शबनम खान खरगौन में स्टॉफ नर्स हैं। दूसरे नंबर की बहन सलमा खान नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है। मां एच निशा खान गृहिणी है। इकलौता भाई कौशर खान पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाता है।
असफलता को बनाई सफलता की सीढ़ी
यदि जीवन में आपने कोई ‘गोलÓ डिसाइड किया है तो उसमें भटकाव नहीं होना चाहिए। एक समय लगातार प्रयास के बाद जब सफलता नहीं मिल रही थी तो मैंने एलएलएम करने के बारे में सोचा। इसबीच भूपेश मिश्रा सर और पापा ने मेरा मनोबल बढ़ाया। बोला एक मौका और लो। फिर मैंने असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाई और जज बन गई।
– शबाना खान, चयनित सिविल जज

बतौर रविशंकर भलावी तीन बार के प्रयास के बाद यह सफलता मिली है। मेरे इस सफलता में मां-बाप के अलावा चेचेर भाई यशवंत शरण सिंह उइके और प्रदीप मरावी (दोनों शिक्षक) का विशेष योगदान है। दोनों ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है। बताया कि मेरे भाई और परिजन शुरू से ही मेरे लिए कुछ अलग सोचते थे। आधुनिकता के दौैर में युवाओं का मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ बढ़ते रूझान के बीच स्कूल की पढ़ाई उत्कृष्ट विद्यालय छपारा में करने के बाद मुझे चचेरे भाइयों ने सिविल जज बनने की सलाह दी। इकलौता पुत्र के बावजूद शिक्षक पिता ने मुझे इंदौर में कॉलेज व कानून की पढ़ाई के लिए भेजा। पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं वहीं पर तैयारी शुरू कर दिया। रविशंकर की सफलता पर सबसे अधिक खुशी उसके मां-बाप को है। रविशंकर के पिता शुरू से ही बेटे को बड़े ओहदे पर देखना चाहते थे। रविशंकर ने उनका यह सपना पूरा कर दिया। रविशंकर की दो बहने हैं। मां सावित्री भलावी गृहिणी है।

पिता ने कहा जो चाहो करो, मैं तुम्हारे साथ
पिता ने मेरे ऊपर बहुत भरोसा किया। उन्होंने मुझे पूरी छूट दी। उन्होंने मेरे कैरियर को लेकर भी कभी दबाव नहीं बनाया। उनका कहना था कि मैं जो चाहू करूं, वे मेरा सहयोग करेंगे। आज मैं उनके भरोसे पर मैं खरा उतरा हूं। यह मेरे लिए गौरान्वित होने का क्षण है।
– रविशंकर भलावी, चयनित सिविल जज
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