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महाकाल के रंग में रंगे भक्त

locationसिवनीPublished: Mar 10, 2018 11:42:29 am

Submitted by:

mahendra baghel

गौ, गीता, गंगा महामंच ने मठ में खेली होली

sunil vandewar
सिवनी. शिव की नगरी सिवनी के सिद्धपीठ मठ मंदिर में विराजित महाकाल के दरबार में गौ, गीता गंगा महामंच द्वारा रंगोत्सव कार्यक्रम में महकाल को रंगकर जमकर गुलाल से होली खेली गई।
विद्वत परिषद सिवनी के वैदिक विद्वानों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारों के साथ महाकाल पर गुलाल की वर्षा की गई और महामंच के सदस्यों द्वारा हर-हर महादेव के जयकारों के साथ शिव को अर्पित गुलाल का टीका लगा शिवत्व और शिवोहं का संदेश दिया।
विद्वत परिषद के सदस्यों ने बताया कि राग-रंग, आनंद-उमंग और प्रेम-हर्षोल्लास का उत्सव अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन मठ मंदिर में गौ, गीता, गंगा महामंच के तत्वावधान में आयोजित उत्सव बिलकुल ही अलग और एकदम अनूठा था। यूं तो लोगों के द्वारा आपस मे रंगों से खूब होली खेली गई लेकिन महादेव संग मनाई होली की बात ही निराली है। मसान की भस्म से होली खेलने वाले के ऊपर जब गुलाल की वर्षा की तो दृश्य अविश्वसनीय अकल्पनीय सा लग रहा था। भावों से ही प्रसन्न हो जाने वाले औधड़दानी के इस स्वरूप को देख लोग रीझे बिना नहीं रहे। चटख अबीर गुलाल एक अलग ही छटा विखेर रहा था।
इस घडी मे मौजूद हर प्राणाी भगवान शिव के रंग मे रंगा गुलाबी गुलाबी सा महसूस कर प्रेम समरसता समपर्ण के भावो को प्रदर्शित कर मानो कह रहा हो कि शिव होने का मतलब प्रेम मे बंधकर भी निर्मोही हो जाना, शिव होने का मतलब प्रेम में आधा बंटकर भी संपूर्ण हो जाना है। शंकर, शिव, भोले, उमापति, महादेव। रौद्र भी वह है और आशुतोष भी। जगतपिता के साथ संहारक भी है। नर और नारी दोनो हैं। कला प्रेमियों और प्रेतों के लिए भूतभावन है। योगी, भावुक प्रेमी और गृहस्थ, उनका हर रूप शिरोधार्य है आस्था के अथाह कल्पना में शिव के रूप अनेक है। रंगोत्सव पर्व पर गौ, गीता गंगा महामंच के कला अनुरागियों ने कला क्षेत्र के आदि प्रवर्तक शिव-पार्वती के प्रति गुलाबी रंगों की वर्षा कर भावांजलि समर्पित की।
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