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फसलों में लगा रोग, कृषि वैज्ञानिक खेतों का कर रहे निरीक्षण

locationसिवनीPublished: Sep 02, 2021 08:37:12 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए जारी है निरीक्षण, दे रहे सलाह

फसलों में लगा रोग, कृषि वैज्ञानिक खेतों का कर रहे निरीक्षण

फसलों में लगा रोग, कृषि वैज्ञानिक खेतों का कर रहे निरीक्षण

सिवनी. कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डांॅ. एनके सिंह, वैज्ञानिकए डांॅ. केके देशमुख, इंजीनियर कुमार सोनी, जीके राणा एवं कृषि विस्तार अधिकारी जेएन बोकडे के संयुक्त दल द्वारा 31 अगस्त व 01 सितम्बर को विकासखंड सिवनी के ग्राम सिमरिया, ढेंकी में कृषकों के खेत में लगी धान, मक्का और सोयाबीन फसल का निरीक्षण किया गया।
कृषि वैज्ञानिकों ने पाया कि धान की फसल में जीवाणु पत्ती, झुलसा रोग का प्रकोप देखा गया। झुलसा रोग के प्रकोप के कारण प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों के दोनो किनारे सूखने लगते है एवं रोग की तीव्रता होने पर उपर की पत्तियांॅ सूख जाती है जिसके नियंत्रण के लिए कांॅपर आक्सीक्लोराइड का 150 ग्राम एवं स्ट्रेप्टोसायक्लीन का 35 ग्राम को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड के मान से छिडकाव करें। कुछ क्षेत्रों में धान की फसल में ब्लास्ट रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। बताया कि इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में धान की पत्तियों में तिकोनी आंॅख नुमा आकार बना होता है। नियंत्रण के लिए ट्राइसाइक्लाजोल.75 डब्ल्यूण् पीण् का 150 ग्राम या प्रोपीकोनाजोल-25 ईसी का 150 मिली या इप्रोबेनफास.48 ईण्सीण् का 300 ग्राम दवा 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड की दर से छिडकाव करें।
धान की फसल में वर्तमान में पत्ति मोडक कीट का प्रकोप भी देखा जा रहा है प्रभावित पत्तियांॅ सूख जाती है जो खुरचे हुये प्रतीत होते है अत्यधिक प्रकोप होने पर पूरी फसल की पत्तियों में सफेद धब्बे बनते है। पत्ति मोडक कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18ण्5 प्रतिषत एससी दवा का 60 मिली या फ्लूबेंडामाइड 20 डब्ल्यूण् जी, का 50 ग्राम या क्यूनालफॉस 25 ईसी का 640 मिली प्रति एकड की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। धान की फसल में शीथ ब्लाइट रोग का प्रकोप भी देखा जा रहा है। इस रोग में जमीन से उपर तने के भाग से उपरी पत्तियों में बडे आकार के धब्बे बने दिखते है। इस रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी का 400 मिली या हेक्साकोनाजोल 50 प्रतिशत का 300 मिली या बेलिडामाइसिन 3 एलण् का 300 मिली दवा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। सोयाबीन फसल में निरीक्षण के दौरान एन्थ्रेक्नोज तथा रायजेक्टोनिया एरियल ब्लाईट रोग का प्रकोप देखा गया। इस रोग के नियंत्रण के लिए टेबूकोनाजोल 625 मिली या पूर्व मिश्रित फफूंॅदनाषक पायराक्लोस्ट्रोविन ़ इपाक्सीकोनाजोल का 750 मिली प्रति हेक्टेयर के मान से छिडकाव करने की सलाह दी गई।
वर्तमान में लगी सोयाबीन फसल में पीला मोजेक वायरस रोग का प्रकोप भी देखा गया इस रोग के नियंत्रण के लिए सलाह दी है कि प्रारंभिक अवस्था में ही रोग ग्रसित पौधों को उखाड कर तुरंत खेत से अलग करना चाहिये तथा सफेद मक्खी व एफिड जैसे रस चूसने वाले रोग वाहक कीटों के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टीकी ट्रेप लगायें एवं पूर्व मिश्रित कीटनाषक थायोमैथाक्जाम लेम्बडासायलोहेथ्रीन का 125 मिली या बीटासायफ्लूथ्रीन इमीडाक्लोप्रीड का 350 मिली प्रति हेक्टेयर के मान से छिडकाव करना चाहिए। टमाटर की फसल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग का प्रकोप देखा गया है जिसके नियंत्रण के लिए कांॅपर आक्सीक्लोराइड 150 ग्राम एवं स्ट्रेप्टोसायक्लीन 35 ग्राम को 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी है।
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