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स्वास्थ्य राज्यमंत्री के प्रभार वाले जिले का हॉल, डायलिसिस यूनिट बंद मरीज बेहाल

locationसिवनीPublished: Apr 21, 2018 03:52:38 pm

Submitted by:

santosh dubey

नागपुर, जबलपुर जाकर डायलिसिस करा रहे मरीज, तीमारदारों पर बढ़ा आर्थिक बोझ

harda hospital in fire

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सिवनी. चार सौ बिस्तर वाले इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में डायलिसिस यूनिट में पिछले तीन दिनों से टेक्नीशियन के नहीं आने से मरीजों की डायलिसिस नहीं हो रही है। इससे उन्हें नागपुर, जबलपुर या प्रायवेट अस्पताल जाकर डायलिसिस करवाना पड़ रहा है। जबकि अस्पताल में डायलिसिस के लिए रोगियों के दिन तय है। ऐसे में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के समक्ष डायलिसिस यूनिट के बंद होने से अचानक निजी अस्पताल या बाहर जाकर डायलिसिस कराने आवागमन की समस्या व महंगे खर्च के बोझ के चलते उसकी समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं।
अस्पताल प्रबंधन को इस समस्या से अवगत कराने के बावजूद दूसरे टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं की गई। यहां कुछ मरीजों की तो हफ्ते में दो तथा कुछ की तीन दिन डायलिसिस की जाती है। रोगियों में कुछ काफी कम उम्र के बच्चे जिनकी उम्र 14 से लेकर 65 साल की उम्र तक के लोग शामिल हैं। यूनिट में काम करने वाले टेक्नीशियन की यहां लम्बे समय से समस्या बनी हुई है। इसके पीछे अभी तक यहां स्थायी रूप से टेक्नीशियन को नहीं रखा जाना कारण सामना आ रहा है।
अस्पताल प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार अस्पताल में पांच डायलिसिस यूनिट हैं और लगभग 20 मरीजों का पंजीयन है। मरीजों की डायलिसिस के लिए पहले यहां दो टेक्नीशियन कार्यरत थे। जिसमें से एक ने अक्टूबर 2017 में कार्य छोड़ दिया। इसके बाद 24 जनवरी 2018 को बब्लू नाम के टेक्नीशियन ने भी काम छोड़ दिया। होली पर्व में कुछ दिन डायलिसिस यूनिट पूरी तरह से बंद रही। जैसे-तैसे टेक्नीशियन की व्यवस्था की गई। यहां बुरहानपुर से आए कर्मी के छोड़कर जाने के बाद होशंगाबाद, डिंडौरी, खण्डवा से डीसीडीसी कम्पनी ने टेक्नीशियन पहुंचाया। लेकिन तीन दिन पहले बुधवार को एकमात्र टेक्नीशियन ने भी कम वेतन मिलने का हवाला देकर नौकरी छोड़ दिया।
इस मामले में टेक्नीशियनों का कहना है कि उन्हें काम के एवज में काफी कम वेतन मिलता है। उन्हें 12 से 16 हजार रुपए के बीच वेतन दिया जाता है। दूसरे जिले से आने वाले कर्मी के लिए यह वेतन अपर्याप्त है और यही कारण है कि कम्पनी के अनुभवी टेक्नीशियन यहां टिक नहीं पा रहे हैं।
पांच हजार रुपए में पड़ रही डायलिसिस
स्वीकृत दो पद हैं लेकिन यहां कई दिनों से एक मात्र कर्मचारी के भरोसे ही डायलिसिस यूनिट चल रही थी। बीपीएल कार्ड धारकों का यहां नि:शुल्क तथा एपीएल कार्ड धारकों का 500 रुपए में डायलिसिस किया जाता है। डायलिसिस यूनिट के बंद होने से अब मरीजों को शहर व महानगरों के निजी अस्पताल जाकर लगभग पांच हजार रुपए खर्च कर डायलिसिस कराने मजबूर होना पड़ रहा है। मरीज के परिजनों में अभिषेक सराठे, चित्र बिसेन, धनंजय यादव, मनीष साहू आदि ने बताया कलेक्टर से मांग की है कि शीघ्र ही जिला अस्पताल की बंद डायलिसिस यूनिट को चालू कराया जाए जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना न करना पड़ा।
नहीं हो रहा डायलिसिस
यूनिट में कार्यरत टेक्नीशियन नौकरी छोड़कर चले गए हैं, जिससे पद रिक्त है। इसके चलते मरीजों का डायलिसिस नहीं हो पा रहा है। कम्पनी के संचालक से बात की गई है। जल्द ही टेक्नीशियन आ जाएगा।
– डॉ. आरके श्रीवास्तव, सिविल सर्जन
जिला अस्पताल, सिवनी

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