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घर और पूजा पंडाल में न रखें पीओपी की गणेश प्रतिमा

locationसिवनीPublished: Aug 11, 2019 12:16:07 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

नागरिकों ने प्रशासन का ध्यान कराया आकर्षित, आमजनों से मांगा सहयोग

lord ganesha

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सिवनी. आगामी महीने में गणेश उत्सव मनाया जाना है। ऐसे में जिले में पीओपी से निर्मित गणेश प्रतिमाएं बिकने के लिए बड़ी मात्रा में पहुंचती रही हैं। इससे पर्यावरण को क्षति होती है। जागरुक नागरिकों, पर्यावरणप्रेमियों ने इस दिशा में प्रशासन से ध्यान देकर पीओपी प्रतिमा विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।
समाजसेवी संगठन मां रेवा ग्रामोत्थान समिति, युवा संधि संगठन के सदस्यों ने प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराते कहा कि पीओपी की बनी सांचे वाली प्रतिमाएं देखने में बड़ी और वजन में मिट्टी की प्रतिमा से हल्की होती है। इन प्रतिमाओं पर लागत कम आने के कारण दुकानदार बिक्री भी कम में कर देते हैं। लोग सस्ती प्रतिमा के चक्कर में बिना दुष्प्रभाव जाने इनको खरीद लेते हैं। जबकि यह प्रतिमा पर्यावरण व जल को प्रभावित करती हैं।
पूर्व में भी लगा है बिक्री पर प्रतिबंध –
नागरिकों ने बताया कि पूर्व के वर्षों में भी पीओपी से बनी प्रतिमा के विक्रय पर प्रतिबंध लगाया जाता रहा है। पीओपी प्रतिमा विसर्जन से जल की गुणवत्ता एवं जल जीवों में इसके विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए पीओपी एवं रासायनिक वस्तुओं से बनी मूर्तियों के निर्माण एवं बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने का आग्रह नागरिकों ने किया है।
कहा कि मूर्तियों के निर्माण में परम्परगत मिट्टी एवं प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने तथा सजावट के लिए लगाए प्लास्टिक की वस्तुओं, पूजा सामग्री तथा फल-फूल को मूर्तियों के विसर्जन के पूर्व निकाल कर अलग-अलग एकत्रित कर लिया जाए। एकत्रित सामग्री तथा मूर्तियों के विसर्जन उपरांत उत्पन्न ठोस अपशिष्ट पदार्थ के निपटान की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को सौंपी जाए। इस तरह पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में सहयोग दिया जा सकता है।
मिट्टी के गणेश की ही हो स्थापना
समाजसेवी पुष्पा मेहंदीरत्ता ने जिले के नागरिकों से आव्हान किया कि वे अपने घरों में मिट्टी के गणेश प्रतिमा की ही स्थापना करें। किसी भी स्थिति में वे पीओपी की गणेश प्रतिमा खरीदकर न लाएं। क्योंकि पीओपी से बनी मूर्तियों से जहां पर्यावरण प्रदूषित होता है वहीं विसर्जन के बाद पीओपी की मूर्ति के न गलने पर वह मूर्ति इधर-उधर पड़ी रहती है जिससे हमारी आस्था का भी ठेस पहुंचती है।
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