सिवनीPublished: Aug 31, 2019 12:56:12 pm
santosh dubey
बच्चे घोड़ा गाड़ी बनाकर गांव में घूमे
बैलों के प्रति किसानों का पुत्रवत प्रेम प्रदर्शन का पर्व पोला
धारनाकलां/मोहगांव. किसानों की कृतज्ञता का प्रतीक पर्व पोला जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसी प्रकार विकासखण्ड कुरई के ग्राम पंचायत पीपरवानी में पोला पर्व पर बच्चों ने घोड़ा-गाड़ी बनाकर पूजा अर्चना कर गांव में घूमे।
पंवार समाज के जिला अध्यक्ष हरकचंद टेमरे ने बताया कि पोला शब्द पोरा मराठी शब्द का अपभ्रंश रूप लगता है जिसका अर्थ पुत्र होता है। इस त्यौहार का वास्तविक एवं विराट स्वरूप मराठी भाषी क्षेत्र में दिखाई देता है इसके उद्घोष एवं बैलो के अभिनन्दन स्वरूप गाये जाने वाले गीत जिन्हे झडती कहतें है मराठी भाषा में ही गाए जाते है। भादो मास की अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार वास्तव में तीन दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार है। एक दिन पूर्व अर्थात भादो कृष्ण चौदस को इसे महावेल या महोबैल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कृषि कार्य में लगे बैलों का सार्वजनिक अवकाश होता है। उनसे कोई भी काम नही लिया जाता उन्हें नहला धुलाकर महुआ से युक्त चावल के आटे के मीठे लड्डू खिलाए जाते हैं। उनके सींगों पर तेल लगाया जाता है शरीर के घाव वाले स्थानो पर जीवाणु रोधक हल्दी तेल का लेपन किया जाता है। रात्रि में गृह लक्ष्मी गौशाला में आरती लेकर अपने गौली की पकवान एवं पैसो से झोली भरकर गौधन वृद्धि का शुभ आशीर्वाद ग्रहण करती है। कहते है किसी समय माता पार्वती ने इसी दिन नंदी की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया था इसलिए इसे महाबैल या महोबैल भी कहते है। महोबैल के दूसरे दिन पोला का मुख्य त्यौहार प्रात:काल से प्रारंभ हो जाता है। जब कृषक एवं उसका पूरा परिवार बैलों को नहलाकर उनकी सजावट एवं पूजन की तैयारी में तन्मय हो जाता है।
मानव की विकास गाथा का है पोला पर्व
टेमरे ने बताया कि मानव तथा प्रकृति की परस्पर पूरकता को प्रदर्शित करने वाला पोला त्यौहार मानव की विकास गाथा का उदाहरण है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है अन्नात भवन्ति भूतानि और अन्न को उत्पन्न करने में हमारा सहयोगी हमारा गौधन है। इसका संरक्षण तथा संवर्धन कर हम अपनी मातृभूमि को सुजलाम, सुफलाम तथा शस्य श्यामलाम बना सकते है।