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महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों का करें अनुशरण

locationसिवनीPublished: Jan 09, 2019 03:13:58 pm

Submitted by:

santosh dubey

जिला मरार माली समाज की आमसभा में वक्ताओं के उद्गार

Marar, Mali Society, Mahatma Jyotiba Phule, Jubilee, Organizing

महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों का करें अनुशरण

 

सिवनी. जिला मरार माली समाज की वार्षिक आमसभा की बैठक रविवार को बरघाट के महात्मा ज्योतिबा फुले मंगल भवन में आयोजित हुई।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम समाज के महापुरूष महात्मा ज्योतिबा राव फुले, माता सावित्रीबाई फुले एवं स्व.लिखीराम कांवरे के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके उपरांत जिला सचिव महेश मानेश्वर ने समाज लोगों के समक्ष वार्षिक आय-व्यय का लेखा जोखा प्रस्तुत किया और समाज के लोगों द्वारा किए गए सहयोग पर सभी का आभार जताया।
इस मौके पर समाज के वक्ता प्रकाश पंचेश्वर ने समाज के महापुरूषों को प्रेरणा स्रोत मानकर समाज आगे बढ़े। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए मृत्यु भोज बंद को अमल लाने, फलदान प्रथा, शादी विवाह के कार्यक्रम में संक्षिप्त करने पर मंथन किया गया। नशाखोरी रोककर समाज सुधार करने की बात कही। उन्होंने समाज के लोगों से बच्चों को स्कूल भेजकर अच्छी शिक्षा देकर उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करे। साथ ही ब्लॉक अध्यक्ष लेखराम मात्रे ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले व सावित्री फुले के विचारों को आगे बढ़ाने तथा शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। धनीराम पंचेश्वर ने महात्मा शब्द के अर्थ को विस्तार से बताया। उन्होंने महात्मा फुले के ये मंत्र बताए कहा कि सदा सत्य बोलियेे, नशाखोरी बंद कीजिये, भ्रष्टाचार का सहारा मत लो आदि बातों को विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि संघर्ष करो संगठित रहो जब तक सामाजिक स्तर पर एकता नहीं होगी, तब तक समाज की प्रगति संभव नहीं हैं। उन्होनें संगठित होकर संघर्ष करने की बात कही। समाज के अन्य वक्ताओं ने भी समाज सुधार पर अपनी बात रखी।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष सुनील राणा, संतोष पंजरिया, लेखराम मात्रे, दुर्गेश मानेश्वर, गजानंद पंचेश्वर, दिनेश पंचेश्वर, मोन्टी मानेश्वर, हीरालाल नागेश्वर, सविता कांवरे,रामप्रसाद मानेश्वर सहित बरघाट, आष्टा, ताखला, बोरीकलां, धोबीसर्रा, अरी, गंगेरूआ, कुरई, केवलारी, पलारी, कान्हीवाड़ा, सिवनी, छपारा सहित अनेक ग्रामों स्वजातीय बंधु मौजूद थे।

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