जीवन की व्यथा को समाप्त करती है भगवान की कथा
सिवनीPublished: Apr 12, 2019 11:16:19 am
ग्राम देवरीकला में चल रही श्रीरामकथा
जीवन की व्यथा को समाप्त करती है भगवान की कथा
सिवनी. संसार में कुछ भी आसानी से प्राप्त नही होता है। मनुष्य का शरीर भी नहीं, यह अति दुर्लभ है। चौरासी लाख योनियों में भटकते भटकते भगवान की करूणामय दृष्टि हम पर पड़ी तब हमें मनुष्य शरीर प्राप्त हुआ। यह हमारे पुण्यों का फल नहीं है, यह तो भगवान ने हमें अवसर दिया है। जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के लिये हम असत्य का त्याग करके सत्य की तरफ चलें। यह उपदेश देवरीकला गांव में कथावाचक अतुल महाराज रामायणी के द्वारा रामकथा में कही गई।
ग्राम देवरीकला में हाई स्कूल के पास राम कथा का आयोजन चल रहा है। कथा का आगे वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि जीवन की व्यथा को समाप्त करने वाली भगवान की कथा है। जिस व्यक्ति को सत्संग का सुख प्राप्त हो जाता है, वही सुख का अनुभव कर सकता है। जब भगवान श्रीराम अपने साकेत धाम को पधारने लगे तो हनुमान से कहा चलो मेरे धाम तब हनुमान ने कहा कि आपकी कथा सुनाने वाला वहां कौन होगा तब भगवान ने कहा कि मेरा समस्त परिवार वहां मिलेगा पर मेरी कथा प्राप्त नहीं होगी, तो हनुमान ने कहा तब तो प्रभु मैं इसी मृत्युलोक में रहूंगा, तो प्रभू ने पूछा मृत्यूलोक में कहां रहोगे तब हनुमान ने कहा ÓÓ यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनम, तत्र तत्र कृत मस्त कांजलिम ÓÓ जहां-जहां आपकी कथा होगी मैं वहीं रहूंगा। तात्पर्य सत्संग में आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। इसीलिये संत तुलसीदास ने सीधी सरल भाषा में समाज को रामकथा प्रदान की, जिसमें संत तुलसीदास ने चौदह भाषाओं का प्रयोग किया। जिससे सभी तक यह कथा पहुंच सके। संसार में सबकुछ संभव है। किसी वस्तु का अभाव नहीं है। अभाव है तो हमारे आपके भाव में है क्योंकि भगवान तो भाव के वश में होते हैं। कथा श्रवण के लिये बड़ी संख्या में ग्रामीणों का पहुंचना जारी है।