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गुड़ उद्योग पर मंडरा रहा खतरा

locationसिवनीPublished: Mar 01, 2020 12:31:47 pm

Submitted by:

mantosh singh

ग्रामीण अंचलों में गुड़ को लाल मिठाई के नाम से जाना जाता है।

गुड़ उद्योग पर मंडरा रहा खतरा

गुड़ उद्योग पर मंडरा रहा खतरा

सिवनी. कभी जिले की पहचान रहे गुड़ उद्योग पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। लगभग हर साल मौसम की मार झेलने, परिवहन के साधनों की कमी, नजदीकी जिलों से प्रतिस्पर्धा व सरकार से सुविधाएं न मिलने के कारण अब सोयाबीन की तरह किसानों का गन्न व गुड़ निर्माण उद्योग से मोहभंग होने लगा है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में जिले की पहचान गुड़ बीते समय की बात बन कर रह जाएगा।
सिवनी से छिंदवाड़ा मार्ग की ओर जाने वाले छोटे एवं बड़े रास्तों पर अनेक गांव हैं। जहां पर आज भी किसान गन्ने की खेती करते हैं और गन्नू के रस से गुड़ का निर्माण कार्य वर्षो से होता आ रहा है। ग्रामीण अंचलों में गुड़ को लाल मिठाई के नाम से जाना जाता है। सिवनी से छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा क्षेत्र जाने वाले मार्ग पर ढेंकी, पुसेरा, मुंगवानी, जाम, सिमरिया, हथनापुर, कमकासुर, सापापार, मढ़वा, खेड़ो, नैनपार, जैतपुर, लखनवाड़ा, फरेदा, कारीरात, मातृधाम, चक्की खमरिया, बेलपेठ क्षेत्र में इन दिनों गन्ने की पिराई का काम जोरों पर जारी है।
गन्ने की पिराई के बाद मटेरियल को गुड़ बनाने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। जिससे अतिरिक्त ईंधन का खर्च नहीं आता और बनाने में कम लागत आती है। शक्कर की तुलना में गुड़ का दाम कम होता है और इसकी मांग ठंड व त्यौहारों में अधिक होती है।
क्षेत्र के गुड़ का व्यवसाय करने वाले किसान अशोक ठाकुर, कैलाश ठाकुर, गनेश ठाकुर, धनंजय आदि का कहना है कि गन्ने उगाना काफी कठिन कार्य है। खेती के लिए बीज, पानी खाद, कीटनाशक व दूसरी चीजों में काफी खर्च आता है। इस बार मौसम ने साथ दिया जिससे उन्हें उम्मीद है कि उन्हें इसका अच्छा प्रतिफल मिलेगा। अब गन्ने पक चुका है और गन्ने की पिराई के बाद घाने से कढ़ाई में उबालने के उपरांत बट्टी एवं बेली का निर्माण किया जाता है।
जिले में गुड़ उद्योग आज भी उसी पुरातन रूप में है जो इसी शुरुआत के समय था। गुड़ के अलावा दूसरे उत्पादों के निर्माण के लिए जिले में उद्योगों का अभाव है। गन्ने के रस से सिरका, वाइन, शक्कर आदि का निर्माण किया जा सकता है। लेकिन क्षेत्र में इस तरह के उद्योग न होने के कारण किसानों का इस फसल के प्रति मोहभंग होता जा रहा है।

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