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प्रेमचंद जैसा सरल रचनाकार होना सबसे कठिन: चिले

locationसिवनीPublished: Aug 03, 2019 08:28:04 pm

Submitted by:

mantosh singh

स्वरचित कविताओं के माध्यम से छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन भी किया।

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प्रेमचंद जैसा सरल रचनाकार होना सबसे कठिन: चिले

सिवनी. हिन्दी और विश्व साहित्य के महान रचनाकार प्रेमचंद की 139वीं जयंती पर स्थानीय पीजी कॉलेज में प्रोफेसरों और विद्यार्थियों ने प्रेमचंद को याद किया और उनकी प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रभारी प्राचार्य डॉ. सतीश कुमार चिले ने कहा कि प्रेमचंद ने जो जीया वही लिखा। बताया कि प्रेमचंद के जैसा सरल रचनाकार होना सबसे कठिन है। चिले ने स्वरचित कविताओं के माध्यम से छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन भी किया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. रविशंकर नाग ने कहा कि प्रेमचंद जैसे कथाकार सदियों बाद पैदा होते हैं। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से हमें अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी है। एमए की छात्रा छाया राय और चांदनी ने जहां प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डाला वहीं छात्र शिवकुमार यादव ने प्रेमचंद की रचनाओं और पात्रों पर आधारित कविता का सस्वर पाठ किया। छात्र आशेष कुमार ने प्रेमचंद को प्रासंगिक बताया। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सविता मसीह ने कहा कि प्रेमचंद के उपन्यास साहित्य में समाज की समस्याओं को चित्रित किया है। प्रेमचंद जयंती के मौके पर डॉ. सविता मसीह ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और साहित्य पर प्रश्नमंच का आयोजन किया। जिससे सभी विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। सवालों के सही जवाब देने वाले विद्यार्थियों को कलम देकर पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि प्रेमचंद न केवल हिन्दी बल्कि विश्व साहित्य के महान रचनाकार हैं। उनकी कहानियां समूचे विश्व साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। कहा कि जब तक भारतीय समाज में समस्याएं हैं। प्रेमचंद की महत्ता बरकरार रहेगी। कार्यक्रम में डॉ. डीपी नामदेव, डॉ. डीआर डहेरिया, डॉ एमसी सनोडिया, डॉ मानसिंह बघेल, प्रोफेसर सुनील कौशल सहित बीए तथा एमए के सभी विद्यार्थी मौजूद रहे।

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