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सिवनी में हुआ बाघिन का शिकार, बड़ी लापरवाही, पढ़े पूरी खबर

locationसिवनीPublished: Jan 15, 2018 11:42:07 am

Submitted by:

akhilesh thakur

शिकार किए गाय के शव में विषाक्त मिलाकर मारा बाघिन को, घटना एक दिन पहले बाघिन ने गाय का किया था शिकार

body of the tigress the exemption of the officials for the safety cubs

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सिवनी. बरघाट परियोजना (प्रोजेक्ट) मंडल के जंगल में बाघिन का शिकार किए जाने के मामले में मंडल प्रबंधक के नेतृत्व में टीम ने रविवार को खुलासा कर दिया। टीम ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। तीनों ने शिकार की बात स्वीकार कर ली है। उन लोगों ने बाघिन के शिकार किए गए गाय के शव में विषाक्त मिलाकर उसको पांच जनवरी को मारा था। गाय के शिकार किए गए घटना स्थल से करीब दो सौ मीटर दूर जाकर बाघिन मरी थी। शव के पंजे आरोपियों ने काटकर तालाब में रस्सी से बांधकर छुपाया था। टीम ने उसे बरामद कर लिया है।
टीम के अनुसार बाघिन के शव का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद गाय के शिकार वाले स्थल का मौका मुआयना किया गया। गाय के शव में विषाक्त जैस संदेह होने पर ग्राम सोनखार के चार संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। इसमें तीन राधेश्याम साहू, राजन विश्वकर्मा व मुखराम मंडल ने बाघिन का शिकार किए जाने की बात को स्वीकार कर लिया है। उनकी निशानदेही पर दो पंजे तालाब से बरामद कर लिए गए हैं। दो पंजे को उन लोगों ने नाखून निकालकर जंगल में फेंकने की बात बताई थी, जिसे उनको जंगल में ले जाकर रविवार की देर शाम तक बरामद कर लिया गया। राजन के पास से टीम ने नाखून व मूंछ के बाल बरामद किए हैं।
मंडल प्रबंधक ज्ञान सिंह भार्गव ने बताया कि इस मामले में गाय के मालिक को भी आरोपी बनाया जाएगा। उसने गाय के शिकार के बाद मुआवजा लेने के लिए प्रकरण बनाया था। बाघिन के शिकार के मामले में उसकी भी संलिप्तता नजर आ रही है। वह अभी फरार है। बताया कि आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि बाघिन का शिकार कर पंजा, नाखून व मूंछ का प्रयोग जाूद टोना करने के लिए रखने की बात बताई है।
कहीं महकमे की लापरवाही से तो नहीं गई बाघिन की जान
सिवनी. बरघाट परियोजना मंडल के दामीझोला बीट कुप क्रमांक 493 में बाघिन के होने की सूचना वन परिक्षेत्र अधिकारी सहित आला अधिकारियों को पहले से थी। जब बाघ ने गाय का शिकार किया तो इसकी भी जानकारी उक्त सभी को थी। बाघ व बाघिन शिकार करने के बाद अपनी भूख मिटाने के लिए संबंधित को खाने के लिए जब तक उसके अंग के अवेशष रहते हैं आते हैं। यह स्थिति करीब सप्ताहभर तक चलती है। इस दौरान शिकार किए गए वन्यप्राणी या मवेशी के अंग के अवशेष में कोई विषाक्त न मिला दें। इसकी निगरानी संबंधित महकमे की टीम करती है। साथ ही उक्त क्षेत्र में गश्त बढ़ाई जाती है। लेकिन इस घटना के बाद प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि संबंधित महकमे ने लापरवाही बरती है, जिसकी वजह से बाघिन की मौत हुई है। यदि संबंधित क्षेत्र में गश्त किया जाता या ड्यूटी पर कर्मचारी तैनात रहता तो कोई व्यक्ति विषाक्त मिलाने की दुस्साहस नहीं कर सकता है। क्योंकि पकड़े गए सभी आरोपियों का ग्राम घटनास्थल से करीब १० किलोमीटर दूर है। ऐसे में उन लोगों ने विषाक्त मिलाने के पूर्व एक बार संबंधित क्षेत्र में महकमे की ड्यूटी व गश्त का अवलोकन जरुर किया होगा।
तस्करों से आरोपियों के संबंध तो नहीं
बाघिन के शिकार के साथ ही यह साफ हो गया है कि उक्त क्षेत्र में शिकारी और तस्कर की गतिविधियां बनी हुई है। अब यह जांच का विषय है कि पकड़े गए आरोपियों का संबंध किसी तस्कर से तो नहीं है।
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