गुरू के पीछे चलोगे तो लक्ष्य को प्राप्त करोगे: विशुद्ध सागर महाराज
सिवनीPublished: Feb 18, 2019 12:35:27 pm
आज बंडोल में आहार चर्या, कल छपारा नगर में होगा प्रवेश
उधना में मनाया गया 155 वां मर्यादा महोत्सव
सिवनी. आत्मज्ञान के बिना संसार सागर से पार नही हुआ जा सकता। बहिरात्मा बाह्यय ज्ञान तो बहुत प्राप्त कर लेता है, शास्त्र ज्ञान के माध्यम से पर को मधुर वाणी से सुंदर उपदेश भी करता है लेकिन स्व स्वभाव पर दृष्टि नही देता। कठोर से कठोर साधना करता है शरीर को पूर्ण कृश कर लेता है, सूर्य के सन्मुख खड़े होकर ध्यान भी करता है, लेकिन संपूर्ण बाह्यय साधना तभी सार्थक है जब अंतरंग परिणति की निर्मलता मिलती हो, वीतराग भाव की प्राप्ति का लक्ष्य हो। परमार्थ शून्य तप, व्रत, शील, संयम मात्र पुण्यबन्द के कारण है। कर्म निर्जरा नहीं करा पाएंगे। इसलिए हे आत्मनां तू आत्म साधना में रत हो जा। मुनिचर्या का व्यवहार रूप पालन तो मिथ्यात्व अवस्था में इस जीव ने अनेक बार किया, पर उससे मोक्ष पुरूषार्थ की सिद्धि नहीं हो सकी। सम्यक साधना से सिद्धत्व की प्राप्ति होगी। उक्त उदगार आचार्य विरागसागर महाराज के तपस्वी शिष्य आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने सिवनी से जबलपुर की ओर प्रवास के पूर्व धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैन मंदिर में व्यक्त किए।
आचार्य ने आगे कहा कि सिवनी में चार दिवसीय विधान से चारों काल का श्रवण हुआ है और समाज में एकता का वातावरण निर्मित हुआ है। जो व्यक्ति गुरू के पीछे-पीछे चलता है निश्चित ही उसे अपनी लक्ष्य की प्राप्ति होती है। वैदिक शिक्षा में उल्लेख मिलता है कि हनुमान को शिक्षा के लिए सूर्य के पीछे चलना पड़ा और अंत में उन्होंने गुरू से ज्ञान प्राप्त किया। इसी तरह बौद्ध धर्म में जो नमस्कार किया जाता है और कहा जाता है भंते नमोस्तु स्वामी यह वाक्य निश्चित ही मंगलकारी है, क्योंकि इसके माध्यम से भगवान को नमन किया जाता है।
महाराज ने आगे कहा कि साधु कहीं भी जाता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं होता, क्योंकि साधु जहां भी जाता है तो वहां पर रहने वाले जीव से यही कहता है कि हम तुम्हारे मेहमान हंै और मेहमान के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है आप कर सकते हैं। इससे निश्चित ही वहां रहने वाले लोगों का साधुओं के प्रति श्रृद्धाभाव बढ़ जाती है।
कार्यक्रम के पूर्व पांच दिवसीय विधान के समापन के पश्चात रजत रथ पर श्रीजी विराजमान कर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस विधान का आयोजन प्रभात कुमार, सुनील कुमार द्वारा आयोजित किया गया था। विधान के प्रतिष्ठाचार्य का सम्मान नरेश दिवाकर द्वारा किया गया। आयोजन को सफल बनाने में पवन दिवाकर, चन्द्रशेखर आजाद, अनिल नायक, सुबोध बाझल, मिलन बाझल, सुदर्शन बाझल, आनंद जैन, संजय नायक, प्रफुल जैन, प्रदीप जैन, नितिन जैन, अभय जैन, पारस जैन, विपनेश जैन, यशु जैन, विशु जैन, सिद्धार्थ, सुमित जैन, प्रभात बीडी जैन, नरेन्द्र गोयल, नितिन गोयल, निलेन्द्र जैन सहित समस्त समाज के वरिष्ठजन एवं बालिका मंडल एवं महिला मंडल का योगदान रहा। आचार्य का मंगल विहार जबलपुर की ओर शाम को हुआ आहारचर्या सोमवार को बंडोल में तथा छपारा नगर में प्रवेश मंगलवार को होगा।