सिवनी

डामर की सड़क पर पाइपलाइन बिछाने के बाद कांक्रीट से मरम्मत

कलेक्टर की गठित टीम ने विगत माह लापरवाही पर लगाया था जुर्माना, फिर शुरू हुई लापरवाही

सिवनीOct 15, 2018 / 11:58 am

akhilesh thakur

डामर की सड़क पर पाइपलाइन बिछाने के बाद कांक्रीट से मरम्मत

सिवनी. नगर पालिका क्षेत्र में चल रहे जलावद्र्धन योजना में बड़े पैमाने पर लापरवाही उजगार होने के बाद निर्माणदायी कंपनी नियमों को ताक पर रखकर काम कर रही है। विगत माह सीएमओ नवनीत पांडेय के निरीक्षण में बड़े पैमाने पर मिली गड़बड़ी के बाद उनके पत्र पर कलेक्टर ने पीएचई कार्यपालन यंत्री विनोद तिवारी के नेतृत्व में गठित टीम से जांच कराई है, जिसमें गड़बड़ी सही पाया गया है। इस पर निर्र्माणदायी कंपनी से करीब १.१० करोड़ रुपए के वसूली का फरमान जारी हुआ है। इसके बाद निर्र्माणदायी कंपनी कार्यों में नियमों की अनदेखी कर रही है। नतीजा प्रायवेट बस स्टेण्ड के सामने डामर की सड़क पर पाइपलाइन बिछाने के बाद कांक्रीट से मरम्मत कर दिया है, जबकि यह कार्य डामर से किया जाना है।
सीएमओ व कलेक्टर की गठित टीम विगत माह किए गए जांच पर गौर करें तो निर्र्माणदायी कंपनी ने गुणवत्ता की अनदेखी करने के साथ ही शहर में जगह-जगह बिछाए गए पाइपलाइन में गड्ढे छोड़ दिए थे। डामर की सड़क में कांक्रीट से मरम्मत किया था, फिर उसी कार्य को पुन: करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर नगरवासियों में आक्रोश है। उनकी माने तो अब तक निर्माणदायी कंपनी से जुर्माना नहीं वसूला गया है। कलेक्टर गोपालचंद ने १५ अप्रैल तक शहर में पानी पहुंचाने के निर्देश दिया था। अक्टूबर माह शुरू हो गया, लेकिन अभी तक पानी नहीं पहुंच पाया है। इसके बावजूद कार्र्यों में लापरवाही बंद न किए जाना समझ के परें है। उधर इस मामले में नगर पालिका प्रशासन की माने तो सड़कों पर पाइपलाइन बिछाने के बाद गड्ढे छोडऩे की जानकारी मिली थी। इस पर उसके मरम्मत का निर्र्देश दिया गया था। डामर की सड़क पर कांक्रीट से मरम्मत किया गया है। इसकी जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो उसे तत्काल दुरुस्त करवाया जाएगा।

जांच में यहां मिली गड़बडिय़ा
अनुबंध के अनुसार मटेरियल लैब स्थापित नहीं किया गया था। योजना के अंतर्गत वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, इंटकवेल एवं चार ओवरहेड टेंक (ओएचटी) का निर्र्माण कराया गया है, जिसकी अ ारसीसी कार्यों की गुणवत्ता की जांच नहीं हो पाई है। गुणवत्ता जांच के लिए नॉन डिस्ट्रिक्ट व टेस्ट कराए जाने का निर्र्देश दिया गया है। योजना के तहत बिछाई गई डीआई पाइप एवं एचडीपीर्इ पाइप बिछाने के बाद बैंक फिलिंग कार्य अनुबंध के अनुसार नहीं किया गया है। इसके बावजूद निर्र्माणदायी कंपनी कार्यों नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रही है। खास है कि करीब ४८ करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट का टेंडर करीब ३० फीसदी से अधिक ६२ करोड़ रुपए में हुआ था। इतना अधिक बढऩे के बाद टेंडर कैसे मिल गया। इसकी भी जांच भोपाल में चल रही है।
सीएमओ व कलेक्टर की टीम के जांच के बाद अब करेंगे संभागीय यंत्री जांच
सीएमओ के निरीक्षण में मिली गड़बडिय़ों के बाद कलेक्टर की टीम की जांच में गड़बड़ी सही पाए जाने और जुर्माना वसूली का निर्देश जारी होने के बाद इस मामले की जांच अब संभागीय यंत्री जबलपुर को सौंपी गर्ई है। उनको जांच का निर्देश भोपाल से मिला है। अब देखना है कि दो जांच में गड़बडिय़ों की पुष्टि होने के बाद संभागीय यंत्री की जांच में क्या मामला सामने आ रहा है। हालांकि अभी संभागीय यंत्री मामले की जांच करने नहीं पहुंचे हैं।
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