सिवनी

पर्यावरण के रक्षार्थ जलाएं कंडे की होली

आस्थाओ परंपराओ के नाम पर देवतुल्य वृक्षो को न करे संहार

सिवनीMar 19, 2019 / 11:56 am

santosh dubey

Auspicious time for Holika Dahan

 

सिवनी. गौ, गीता, गंगा महामंच के अध्यक्ष पं रविकान्त पाण्डेय ने कहा कि हरियाली है तो जीवन है। होली जलाने के लिए पेड़ न काटे जाएं। हर उत्सव त्यौहारों के पीछे एक संदेश व आशय होता है। नए अनाज के आने पर होला भूंज कर सबसे पहले लोग परमपिता परमेश्वर को भोग लगाते हैं। आग पर भूने गए इस अनाज को प्रभु को समर्पित कर प्रसाद स्वरूप स्वयं खाते और खिलाते हैं। भारत कृषि और पशुधन प्रधान देश है। यहां पशु भी बहुतायत में होने से गोबर भी होता है, इसलिए लोगों को लकड़ी की जगह कंडे की होली जलानी चाहिए।
महामंच के पं. रविकान्त पाण्डेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को भी भगवान मानकर पूजा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा कि वृक्षों में वह पीपल हैं। इसके अलावा आंवला नवमीं पर आंवले की पूजा विधि-विधान से की जाती है। हमारे ऋषि-मुनि वृक्षों के महत्व, प्रकृति के संरक्षण में उनके योगदान और मानव स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रभाव के प्रति सजग रहे हैं। लेकिन वर्तमान में लोग अपने स्वार्थवश पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करने में जुटे हैं, जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है।
धार्मिक आस्थाओं के नाम पर होली जलाने के लिए जो अंधाधुंध लकड़ी का प्रयोग कर रहे हैं, उससे पेड़-पौधे तो नष्ट हो ही रहे हैं, वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है। समय रहते हमें कर्मकांडों के लिए लकड़ी का विकल्प स्वीकार कर लेना चाहिए और लकड़ी के स्थान पर गोबर के कंडे का अधिकतम प्रयोग करना चाहिए। होलिका दहन का मतलब लकडिय़ां जलाकर परंपरा के नाम पर दस्तूर निभाना नहीं है, वरन अपने अंदर की बुराइयों को जड़ से मिटाने का है। परंपरा के नाम पर हरे-भरे पेड़ों को काटना मूर्खता है, क्योंकि पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, इसलिए लोग पेड़ों को काटें नहीं बल्कि होली के पर्व पर परिवार का हर सदस्य एक पौधा अवश्य लगाएं।
वृक्ष हमारे मित्र होते हैं। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि यह सभी जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन के रूप में प्राणवायु देते हैं। इसके अलावा कार्बनडाइ ऑक्साइड और वातावरण को गर्म करने वाली नुकसानदायक गैसों को सोख लेते हैं। साथ ही धरती के कटाव को रोककर जल संरक्षण भी करते हैं, इसलिए लोग हरे-भरे पेड़ों की बलि न लें, बल्कि जीवन में एक पेड़ लगाकर पर्यावरण सुधारने में सहायक बनें। वर्तमान समय में प्रदूषित वातावरण एक विकराल समस्या बन चुका है। ऐसे में हम अगर पेड़ काटकर होली जलाएंगे तो ये हमारी ही क्षति होगी। इसलिए सभी लोग एकजुट होकर न ही लकड़ी की होली जलाएं और ना ही किसी को हरे-भरे पेड़ काटकर होली जलाने दें। पेड़-पौधे जीवनोपयोगी होते हैं। इनके संरक्षण से ही हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा। होली पर लोग पेड़ न काटें, बल्कि इस अवसर पर पौधरोपण का संकल्प लें, ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहे। इसके लिए लकड़ी की जगह कंडों का उपयोग करना चाहिए, जिससे गो, गीता, गंगा और पर्यावरण सुरक्षित रहे।

 

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.