कई उम्मीदों को मिट्टी में मिला गई पल भर की आफत
सिवनीPublished: Jan 13, 2022 11:28:02 am
आंधी, ओला-बारिश से किसानों के परिवारों में पसरा मातम
कई उम्मीदों को मिट्टी में मिला गई पल भर की आफत
सिवनी. आसमान से ओला बनकर बरसी आफत ने जिले के आधे हिस्से में किसानों के कई महीनों की मेहनत से खेतों में खड़ी फसलों को चंद मिनटों में रौंद दिया। हालात ये रहे कि हरी लहलहाती फसल सफेद बर्फ के नीचे दबकर रह गई। ऐसे वक्त में किसान सिर्फ खेतों को देख ही सकता था, उसके पास फसल को बचा पाने की कोई तरकीब नहीं थी। फसल के साथ किसानों की उम्मीदें भी चौपट हो गई हैं। आने वाली फसल के बाद कोई अपनी बेटी की शादी करने वाला था, तो किसी को अपने कच्चे मकान को पक्का कराना था। किसी को अपना कर्ज पटाना था, तो किसी के लिए ये फसल आधे साल के गुजारे का इंतजाम थी। लेकिन सब उम्मीदें अब मायूसी में बदल गई हैं, जो लागत लगी थी, वो भी अब मिल पाने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
सिवनी जिले के कुरई, केवलारी, बरघाट व सिवनी विकासखण्ड के करीब एक सैकड़ा गांव में कुदरत ने मंगलवार को आंधी-बारिश के साथ ओलावृष्टि कर कहर बरपाया है। खेतों को ही नहीं पशु-पक्षियों, पेड़ों को क्षति हुई है। प्रशासन नुकसानी का सर्वे करने की बात कह रहा है, लेकिन जनप्रतिनिधियों के पीछे ही प्रशासन की टीमें घूम रही हैं। किसानों का आरोप है कि सूचना के बाद भी प्रशासन उनके खेतों का हाल देखने नहीं पहुंच रहा है। जहां जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दल के नेता पहुंच रहे हैं, वहां राजस्व विभाग और अधिकारी भी नजर आ रहे हैं।
किसानों ने सुनाई अपनी पीड़ा
कान्हीवाड़ा क्षेत्र के किसान विनोद विश्वकर्मा ने कहा कि कान्हीवाड़ा क्षेत्र में मंगलवार को ओला-पत्थर की मार ने भारी तबाही मचाई है। हमारी अपनी जमीन नहीं है, दो एकड़ में ठेके पर खेती कर परिवार का गुजारा करते हैं, गेहूं की फसल लगाए थे, पूरी चौपट हो गई है। कर्ज लेकर फसल बोवनी किए थे, वो भी पटाना है। अब सरकार से ही मदद की उम्मीद है।
नेताओं ने भी नहीं सुनी हमारी
कामता गांव के किसान राकेश चंद्रवंशी ने कहा कि हमारा खेत में ही मकान है, जब आंधी, बारिश, ओलावृष्टि हुई तो मकान का कुछ हिस्सा गिर गया, जिसमें बच्चे भी दब गए थे, फसल भी बिछ गई है। क्षेत्र में विधायक और कई नेता आए थे, उनसे खेत के हाल देखने के लिए कहा था, क्षेत्र के नेताओं ने कह दिया कि वहां की सड़क खराब है, इसलिए विधायक नहीं जा सकते, पटवारी ने भी खानापूर्ति कर दी है।
नुकसानी से परिवार दुखी
खापा टोला के किसान अजय चौरसिया ने कहा कि खेत में अच्छी फसल बन रही थी, कि अचानक मौसम बिगड़ा और १० एकड़ में लगी गेहूं और 2 एकड़ की चना फसल ओला-बारिश से बर्बाद हो गई है। फसल में 2 लाख की लागत लगाए थे, जो पूरी तरह नष्ट हो गई है। चाचा कमल प्रसाद की फसल देख कर कल हालत खराब है किसी से बात नही कर रहे हैं और रो रहे हैं।
अब कैसे पटा सकूंगी कर्जा
महिला कृषक जानकीबाई खापा टोला ने कहा कि सोसायटी से २ लाख रुपए का कर्जा लेकर 6 एकड़ में गेहूं बोए थे। सोचे थे, इस फसल से कर्ज पटाएंगे, पूरी फसल ओला से खराब हो गई है, मकान को भी नुकसान हुआ है। मेरा सहारा एक बेटा था, वो भी पिछले साल एक्सीडेंट में नहीं रहा। हमारे खेत का हाल देखने भी कोई नहीं आया है।
बुलाने पर भी नहीं आए नेताजी
कान्हीवाड़ा के कृषक संतोष बंदेवार ने कहा कि मेरी खेत में साढ़े तीन एकड़ में गेहूं की फसल लगी हुई थी। ओलावृष्टि से फसल तो नुकसान हुआ ही है, बिजली के खम्भे, तार गिरने से खेत में करंट फैल गया, मोटर पम्प और कई सामग्री खराब हो गए। क्षेत्र में कई नेता और अधिकारी आए लेकिन फोटो खिंचाने से ही फुर्सत नहीं थी। हमने बताए, लेकिन आकर तक किसी ने नहीं देखा।
सब्जी-गेहूं सब हो गया चौपट
गोपालगंज के किसान परसराम चंद्रवंशी ने बताया कि उद्यानिकी फसल सब्जी बरबटी, मिर्ची लगाए थे। इसके अलावा दो एकड़ में गेहूं थी। ४ लाख खर्च किए थे, अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद थी, कुछ देर की ओला-बारिश ने सब मिट्टी में मिला दिया। अब कोई आकर नुकसानी का सर्वे कर लागत का मुआवजा ही दिला दे तो बड़ी बात है।