मूंग, उड़द, तिल की खेती को देंगे प्रोत्साहन, किसान पाएंगे प्रशिक्षण
सिवनीPublished: Nov 07, 2019 11:36:22 am
कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी की परामर्शदात्री समिति की बैठक आयोजित
शेखावाटी से दो हजार से अधिक किसान बॉर्डर पर जाने की तैयारी में
सिवनी. कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी की वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति की बैठक दर्पण सभागार में आयोजित हुई। बैठक में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डांॅ. एनके सिंह द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी द्वारा वर्ष 2018-19 में किए गए कार्यों की उपलब्धियों एवं वर्ष 2019-20 की कार्ययोजना का पांॅवर पाईंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई।
इस अवसर पर उद्यानिकी महाविद्यालय छिंदवाड़ा से आए अधिष्ठाता डांॅ. वीके पराडकर द्वारा सिवनी जिले में मक्के की खेती रेज्ड बेड पद्धति से करने का सुझाव दिया गया। जिससे जल भराव की स्थिति में भी मक्का फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी द्वारा किए गए कार्यों एवं उपलब्धियों का मूल्यांकन करने के लिए संचालनालय विस्तार सेवाएंं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से आए डांॅ. टीआर शर्मा प्रमुख वैज्ञानिक द्वारा जायद फसल क्षेत्र बढाने के लिए मूंॅग, उडद एवं तिल की खेती पर प्रशिक्षण दिये जाने पर जोर दिया।
इसके अलावा उतेरा खेती के साथ-साथ जीरो टिलेज में फसल की सीधी बुआई का प्रदर्शन आयोजित किए जाने के लिए उपस्थित कृषि एवं संबंधित विभागों को जानकारी प्रदान की। जिले में खरीफ में मक्के की खेती के बाद दलहन एवं तिलहन फसल को फसल चक्र में शामिल करने पर आगामी फसल में उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है।
इस अवसर पर उपस्थित ओम ठाकुर प्रमंडल सदस्य जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा लाख प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन का कार्य एवं धान के बीज का भूमि के अनुसार चुनाव करने के लिए उपस्थित सदस्यों को अवगत कराया एवं कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किए जा रहे कार्यों विशेष रूप से समय-समय पर किसानों को उचित मार्गदर्शन प्रदाय किए जाने की सराहना की। साथ ही पशुपालन के क्षेत्र में प्रशिक्षण के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को प्रशिक्षित किये जाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में कृषि एवं कृषि से संबंधित विभागों के अधिकारी, प्रगतिशील कृषक सदस्य एवं कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिक एपी भंडारकर, (वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक), इंजी एसके चौरसिया (वैज्ञानिक कृषि अभियांत्रिकीय), डांॅ. केके देशमुख, (वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान) डांॅ. किरन पाल सिंह सैनी, (कार्यक्रम सहायक, पशुपालन), जीके राणा (कार्यक्रम सहायक, खाद विज्ञान), एवं देवी प्रसाद तिवारी, नीत लाहौरी, जयशंकर गौतम, पवन गढेवाल, हिमांशु कुमरे की उपस्थिति रही।