सिवनीPublished: Apr 10, 2019 12:32:30 pm
santosh dubey
मातृधाम में जारी संगीतमय श्रीदेवी पुराण महायज्ञ
कष्टों का निवारण करती हैं मां भगवती
सिवनी. भगवती मां आद्या सनातनी शक्ति मां दुर्गा की साक्षात् वांगमय विग्रह हैं। बिना शक्ति के किसी भी प्राणी, पदार्थ की गति संभव ही नहीं है। मां जिनको कहा गया है, उनके 51 शक्तिपीठ हैं। उक्ताशय की बात बनारस से आए कथावाचक हितेन्द्र शात्री ने मातृधाम में जारी श्रीमद्देवी भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ में श्रद्धालुजनों से कही।
शास्त्री ने बताया कि देवता की पूजा दिन में और देवी की पूजा रात को करनी चाहिए और नवरात्र में दो से 10 साल के कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद् भागवत महापुराण व श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में कोई भेद नहीं है। दोनों एक ही हैं। यह 18 महापुराणों में एक है। वेद को चार भागों में विभक्त करने वाले, महाभारए 18 पुराण व ब्रह्मसूत्र के रचयिता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यासजी महाराज द्वारा रचित इस महापुराण में 12 स्कंध, 318 अध्याय व 18 हजार श्लोक हैं।
शास्त्रीजी ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत कथा का विस्तार से निरूपण करते हुए कहा कि स्कन्द पुराण के रेवा खण्ड में पांच अध्यायों में वर्णित प्रथम महात्म्य की कथा है। इसमें वैवस्वत मनु के पुत्र सुद्युम्न की कथा है, जो आदिदेव महादेव भगवान शिव के बनाए किम्पुरुष नामक क्षेत्र में प्रवेश कर स्त्री बन गए थे। उन्होंने जगदम्बा मां की कृपा से सदा के लिए पुरुषत्व प्राप्त किया। भगवान श्रीकृष्ण मणि प्रसंग में जब जाम्बवान से युद्ध कर रहे थे, तो भगवान श्रीनारदजी की प्रेरणा से वसुदेवजी ने नवाह यज्ञ किया। विप्रदेवों को दक्षिणा बांटकर आशीर्वाद ले ही रहे थे कि श्री कृष्ण का वहां सपत्नीक आगमन हुआ। मां के ही एक भक्त ने मातारानी की कृपा से रेवती नक्षत्र जिसका पतन हो गया था, उसकी स्थापना की। जगदम्बा मां की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है।