24 घंटे में नागपुर से पैदल चलकर छपारा पहुंचे छह मजदूरों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र छपारा के डॉ. पियूष जैन ने 108 एम्बुलेंस से जिला अस्पताल रैफर किया। जिला अस्पताल में एम्बुलेंस चालक ने वापस छपारा ले जाने की बात कहकर गया और नहीं लौटा। इस संबंध में सीएस, सीएमएचओ, डॉ. पियूष जैन से बात की गई। सबने एक दूसरे पर मजदूरों को वापस छपारा भेजने की जिम्मेदारी डालकर किनारा कर लिया। देर शाम तक सभी मजदूर पैदल छपारा के लिए रवाना हुए। यह दृश्य मानवीय संवेदना को तार-तार कर रहा है। जिले में यह स्थिति तब है, जब कोरोना संक्रमण का एक भी पॉजीटिव केस नहीं मिला है।
छपारा विकासखंड के ग्राम देवगांव व जोगीवाड़ा निवासी सीता कुमारे, सुकमनी, राकेश, शैलकुमारी, नीलेश व मनोज नागपुर में मजदूरी करते हैं। बीते 20 मार्च को उनका काम बंद हो गया। मजदूरी का पैसा लेने के लिए वे दो दिन रूक गए। पैसे मिले तो बस बंद हो गया। बस सहित अन्य दूसरे वाहनों के सिवनी आने का एक दिन इंतजार किए। कोई साधन नहीं मिला। 24 मार्च को सुबह में खाना खाने के बाद वे लोग नागपुर से पैदल चल दिए। रास्ते में उनको मजदूरों की दूसरी टोलियां भी मिली।
जिला की सीमा पर बनाए गए चेकपोस्ट पर तैनात कर्मचारियों की लापरवाही को मजदूरों की यह दास्तां पोल खोल रही है। जिला प्रशासन यह दावा कर रहा है कि चेकपोस्ट पर सघन जांच के बाद सीमा में प्रवेश दिया जा रहा है। यदि ऐसा होता तो मजदूरों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और जिला अस्पताल में क्यों जाना पड़ता।
यह कहा जिम्मेदारों ने
– सिविल सर्जन डॉ. विनोद नावकर ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि मजदूरों को छपारा पहुंचाने के लिए सीएमएचओ से बात की जाए। वे एम्बुलेंस उपलब्ध करा सकते हैं।
– सीएमएचओ डॉ. केसी मेश्राम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। मैंने डॉ. पियूष को बोल दिया है।
– डॉ. पियूष जैन ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि एम्बुलेंस वाले की गलती है। मेरे संज्ञान में यह मामला आया है। मैंने एम्बुलेंस वाले को बोला है। वह वहां पर किसी से बात कर उनको छपारा पहुंचाएगा।