scriptस्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार, मानवीय संवेदना हुई तार-तार | Negligence of health department, human compassion. | Patrika News

स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार, मानवीय संवेदना हुई तार-तार

locationसिवनीPublished: Mar 25, 2020 09:57:33 pm

Submitted by:

akhilesh thakur

– 24 घंटे पैदल चलकर नागपुर से छपारा पहुंचे मजदूरों को भेजा जिला अस्पताल – जिला अस्पताल से छपारा जाने के लिए देर शाम तक एम्बुलेंस का मजदूर करते रहे इंतजार – स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों ने एक दूसरे पर टालते रहे जिम्मेदारी

स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार, मानवीय संवेदना हुई तार-तार

स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार, मानवीय संवेदना हुई तार-तार

अखिलेश ठाकुर सिवनी. कोरोना वायरस संक्रमण से सतर्कता को लेकर सजगता का दांवा कर रहे स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार हुई है। तमाम सुविधाओं, सुरक्षा व संदिग्धों के उपचार को लेकर किए जा रहे बड़ी-बड़ी बातों का पोल बुधवार को जिला अस्पताल संक्रामक रोग ओपीडी के बाहर खुल गई।

24 घंटे में नागपुर से पैदल चलकर छपारा पहुंचे छह मजदूरों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र छपारा के डॉ. पियूष जैन ने 108 एम्बुलेंस से जिला अस्पताल रैफर किया। जिला अस्पताल में एम्बुलेंस चालक ने वापस छपारा ले जाने की बात कहकर गया और नहीं लौटा। इस संबंध में सीएस, सीएमएचओ, डॉ. पियूष जैन से बात की गई। सबने एक दूसरे पर मजदूरों को वापस छपारा भेजने की जिम्मेदारी डालकर किनारा कर लिया। देर शाम तक सभी मजदूर पैदल छपारा के लिए रवाना हुए। यह दृश्य मानवीय संवेदना को तार-तार कर रहा है। जिले में यह स्थिति तब है, जब कोरोना संक्रमण का एक भी पॉजीटिव केस नहीं मिला है।

छपारा विकासखंड के ग्राम देवगांव व जोगीवाड़ा निवासी सीता कुमारे, सुकमनी, राकेश, शैलकुमारी, नीलेश व मनोज नागपुर में मजदूरी करते हैं। बीते 20 मार्च को उनका काम बंद हो गया। मजदूरी का पैसा लेने के लिए वे दो दिन रूक गए। पैसे मिले तो बस बंद हो गया। बस सहित अन्य दूसरे वाहनों के सिवनी आने का एक दिन इंतजार किए। कोई साधन नहीं मिला। 24 मार्च को सुबह में खाना खाने के बाद वे लोग नागपुर से पैदल चल दिए। रास्ते में उनको मजदूरों की दूसरी टोलियां भी मिली।
खवासा बार्डर पर जांच की औपचारिकता पूरी कर सभी मजदूरों को गांव के पास के सरकारी अस्पताल में दिखाने की बात कहकर रवाना कर दिया गया। करीब 24 घंटे दिन-रात पैदल चलने के बाद वे सुबह करीब 10 बजे छपारा पहुंचे। बार्डर की बात परिजनों को बताई वे लोग उनको अस्पताल जाकर उपचार कराने की बात कह दिए। जब वे लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र छपारा पहुंचे तो चिकित्सक डॉ. पियूष जैन ने उनको जिला अस्पताल रैफर कर दिया। सभी को 108 एम्बुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जिला अस्पताल के संक्रामक ओपीडी में उनका उपचार हुआ। उनके बांह पर मुहर लगाई गई। इसके बाद उनको वहां से जाने के लिए कह दिया गया। जब सभी मजदूर बाहर निकले तो एम्बुलेंस जा चुका था। उन लोगों ने अपनी आप बीती ‘पत्रिकाÓ को बताई।
इस संबंध में जब जिम्मेदारों से बात की गई तो सभी ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाली। नतीजा देर शाम तक मजदूर जिला अस्पताल में एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आया और वे पैदल रवाना हुए। स्वास्थ्य महकमे की एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रक्रिया ने मानवीय संवेदना को तार-तार कर दिया। 24 घंटे में करीब दो सौ किमी पैदल चलने के बाद छपारा पहुंचे और बिना खाए-पिए उनको वहां से जिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। यहां से भी बिना खाए-पिए वे शाम को पैदल छपारा के लिए रवाना हुए। मजदूर नीलेश ने शाम करीब चार बजे कालकर ‘पत्रिकाÓ को पैदल जाने की बात से अवगत कराया।
सीमा पर बने चेकपोस्ट की पोल खोल रहा मजदूरों की दास्तां
जिला की सीमा पर बनाए गए चेकपोस्ट पर तैनात कर्मचारियों की लापरवाही को मजदूरों की यह दास्तां पोल खोल रही है। जिला प्रशासन यह दावा कर रहा है कि चेकपोस्ट पर सघन जांच के बाद सीमा में प्रवेश दिया जा रहा है। यदि ऐसा होता तो मजदूरों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और जिला अस्पताल में क्यों जाना पड़ता।
यदि सीमा पर लोगों की जान बचाने के लिए इंतजाम किए गए हैं तो उनको पैदल न भेजकर एम्बुलेंस आदि से भेजने की क्यों नहीं व्यवस्था कराई गई है। पूरी रात पैदल चलकर सिवनी पहुंचे लोगों के साथ यदि कोई हादसा हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता? यदि उन लोगों में कोई पॉजीटिव होता और सीमा के अंदर प्रवेश करने के बाद कई लोगों के संपर्क में आ जाता तो सीमा पर कर्मचारियों को तैनात किए जाने का क्या फायदा मिलता। यह सवाल खड़ा हो गया है।

यह कहा जिम्मेदारों ने
– सिविल सर्जन डॉ. विनोद नावकर ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि मजदूरों को छपारा पहुंचाने के लिए सीएमएचओ से बात की जाए। वे एम्बुलेंस उपलब्ध करा सकते हैं।
– सीएमएचओ डॉ. केसी मेश्राम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। मैंने डॉ. पियूष को बोल दिया है।
– डॉ. पियूष जैन ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि एम्बुलेंस वाले की गलती है। मेरे संज्ञान में यह मामला आया है। मैंने एम्बुलेंस वाले को बोला है। वह वहां पर किसी से बात कर उनको छपारा पहुंचाएगा।
स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उजगार, मानवीय संवेदना हुई तार-तार
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो