अभी हो जाओ सावधान, नहीं तो पड़ेगा पछताना
सिवनीPublished: Jun 06, 2018 11:18:37 am
पॉलिथिन समेटी, रैली निकाली, दिया पर्यावरण संरक्षण संदेश
सिवनी. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मंगलवार को शासन के निर्देश अनुसार शासकीय माध्यमिक शाला भोंगाखेड़ा में विज्ञान मित्र क्लब के विद्यार्थियों, पालक शिक्षक संघ के सदस्य, ग्राम सरपंच बबीता बघेल, रामकुमार बघेल एवं ग्राम के उप सरपंच गोपाल सिंह बघेल, विद्यालय सुरक्षा समिति के नवयुवक सदस्यों ने विद्यालय एवं ग्राम में पॉलिथीन मुक्ति के लिए जागरूकता रैली निकाली।
विद्यालय एवं आसपास के प्रांगण में कचरे के रूप में पड़ी हुई पॉलीथिन, पॉलिथीन की बैग, प्लास्टिक की बोतल का संग्रहण कर साफ -सफाई की और उनका उचित निपटान किया। साथ ही विश्व पर्यावरण दिवस को यादगार बनाने के लिए शाला प्रांगण में संस्था के प्रभारी प्रधानपाठक राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त संजय तिवारी की उपस्थिति में ग्राम के नव युवकों के द्वारा पौधरोपण किया गया।
इस अवसर पर प्रभारी प्रधानपाठक तिवारी ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस को पर्यावरण दिवस और ईको दिवस के नाम भी जाता है। ये वर्षों से एक बड़े वार्षिक उत्सवों में से एक है जो हर वर्ष 5 जून को अनोखे और जीवन का पालन.पोषण करने वाली प्रकृति को सुरक्षित रखने के लक्ष्य के लिए लोगों द्वारा विश्व भर में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत प्लास्टिक से पर्यावरण संरक्षण के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का वैश्विक मेजबान है। इस वर्ष वल्र्ड एनवायरनमेंट डे सेलिब्रेशन का थीम हैं बीट प्लास्टिक पोल्यूशन है, इस अवसर पर सभी लोग मिलकर प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाली प्रदूषण के लिए आवाज उठा रहे हैं। प्रदूषण इस गति से बढ़ रहा है कि अभी सावधान होकर संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए तो बाद में पछताना पड़ सकता है।
तिवारी ने बताया कि पूरे विश्व में आम लोगों को जागरुक बनाने के लिए साथ ही कुछ सकारात्मक पर्यावरणीय कार्रवाई को लागू कर पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए मानव जीवन में स्वास्थ्य और हरित पर्यावरण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरुकता को फैलाने के लिए वर्ष 1973 से हर 5 जून को एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में विश्व पर्यावरण दिवस (डबल्यूईडी) के रुप में भी कहा जाता है, को मनाने की शुरुआत की गई है, जो कि अपने पर्यावरण की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या निजी संगठनों की ही नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
बताया कि 1972 में संयुक्त राष्ट्र में 5 से 16 जून को मानव पर्यावरण पर शुरु हुए सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र आम सभा और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ;यूएनइपीद्ध के द्वारा कुछ प्रभावकारी अभियानों को चलाने की सहमति बनी। तब हर वर्ष मनाने के लिए पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना हुई थी। इसे पहली बार 1973 में कुछ खास विषय-वस्तु के (केवल धरती) साथ मनाया गया था। 1974 से, दुनिया के अलग-अलग शहरों में विश्व पर्यावरण उत्सव की मेजबानी की जा रही है। कुछ प्रभावकारी कदमों को लागू करने के लिए राजनीतिक और स्वास्थ्य संगठनों का ध्यान खींचने के लिए साथ ही साथ पूरी दुनिया भर के अलग देशों से करोड़ों लोगों को शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा ये एक बड़े वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गयी है।