सिवनीPublished: Jul 23, 2019 08:31:59 pm
santosh dubey
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिका ने दिया धरना, निकाली रैली
वेतन कटौती के आदेश पर संगठन ने सौंपा ज्ञापन
सिवनी. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी कार्यकर्ताओं के वेतन में की गई कटौती से नाराज आंगनबाड़ी महिलाओं ने सोमवार को कचहरी चौक में धरना प्रदर्शन देकर नगर में निकाली रैली व कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।
मप्र बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका संगठन भोपाल के तत्वावधान में कचहरी चौक में धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में जिले भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एकत्रित हुई। बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संगठन की प्रांताध्यक्ष रामेश्वरी मेश्राम, अध्यक्ष मोहनी सनोडिया ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य स्तर पर मानदेय सात हजार रुपए बढ़ाया था जिसमें कटौती करते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री ने 1500 रुपए कम कर दिए हैं। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका जमीनी स्तर पर कार्य कर सेवाएं दे रही हैं। सभी विभागों के कार्य करवाए जाते हैं कम से कम 30 पंजीयन लेखन की जाती है। इन सबके बाद भी रुपए में कटौती करना अनुचित है।
उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव के पहले दिया हुआ वचनपत्र बिन्दु 16 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिका को नियमित करने का वादा किया था लेकिन इससे मुकर गए। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आठ अप्रैल 18 को सात हजार रुपए मानदेय की घोषणा की गई थी और एक जून 18 से लागू की गई जो कि मिलने भी लगा था, जो वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा 1500 रुपए कर दिया गया है।
वर्तमान सरकार द्वारा ऐसा करना सरासर धोखा एवं अन्याय संगत है अपना आदेश तत्काल वापस लेकर जस का तस रखा जाए एवं एरियर सहित भुगतान किया जाए। वित्त विभाग द्वारा जो राशि स्वीकृत की जाती है उस पर सरकारी की मनमानी करना यह कहां का न्याय है। उन्होंने आगे कहा कि जो भी निरीक्षण में पहुंचते हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका की सेवा समाप्त कर देते हैं, उसे सुनवाई का भी मौका नहीं दिया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं ने फर्जी दस्तावेजों पर नियुक्तियां किए जाने का आरोप भी लगाया है।
अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी
मांगें पूरी नहीं होने पर 24 जुलाई को भोपाल में प्रदेश स्तरीय ज्ञापन सौंपे जाने की बात कही गई। वहीं 15 दिन के अंदर शासन द्वारा यदि कोई जवाब नहीं मिला तो अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए बाध्य होने मजबूर होना पड़ेगा जिसकी जवाबदारी शासन की होगी।