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ब्राम्हणों को जरूरी है संध्या वंदन करना : पं. हितेन्द्र शास्त्री

locationसिवनीPublished: Apr 15, 2019 07:43:00 pm

Submitted by:

santosh dubey

हवन-पूजन के साथ कथा का हुआ समापन, शाम तक हुआ भण्डारा, प्रसाद वितरण

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ब्राम्हणों को जरूरी है संध्या वंदन करना : पं. हितेन्द्र शास्त्री

 

सिवनी. ग्राम मातृधाम में हवन-पूजन के साथ श्रीमद् देवी महापुराण का समापन हुआ। समापन के बाद बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुजनों ने जवारे का विसर्जन किया।
कथा के समापन अवसर पर काशी से आए कथावाचक स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शंकराचार्य महाराज के शिष्य पं. हितेन्द्र शास्त्री ने देवी पुराण के महत्व, पूजन व नियम संयम के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने आगे कहा कि कलयुग में मनुष्यों को देवी पुराण का महत्व समझने के लिए व्यासजी महाराज ने तीन करोड़ श्लोकों को बदलकर 18 श्लोकों में बतला दिया। भगवती गायत्री का अराधना का वर्णन देवी पुराण में आता है। प्रत्येक ब्राम्हण, क्षत्रिय और वैश्य को गायत्री का जप अवश्य करना चाहिए। संध्या वंदन करना चाहिए। जो नहीं करता है उसे नरक में जाना पड़ता है। यदि कोई ब्राम्हण तीन दिन संध्या वंदन नहीं करता है तो उससे कर्मकाण्ड कराने का अधिकार नहीं है। इसलिए सामर्थ और समय के अनुसार प्रत्येक मनुष्य को जिसे अधिकार है उसे गायत्री का पूजन अवश्य करना चाहिए। देवी कथा में पूजन व संगीत में दीपक तिवारी, तीरथ तिवारी, राजा मिश्रा का सहयोग रहा।
कथा आयोजक शिवदयाल सनोडिया, सियाराम, शिवचरन, बुधमान, शशीकांत सनोडिया आदि ने बताया कि कथा समापन के बाद बड़ी संख्या में बाजे-गाजे के साथ जवारे विसर्जन किया गया।

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