कई घटनाओं का साक्षी है पंचदेव मंदिर
मन्दिर के इतिहास के विषय में जानकारी देते हुये अखिलेश श्रीवास्तव जिनके पूर्वजों के द्वारा इस मंदिर का रख रखाव किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डालें तो मंदिर निर्माण करने वाले वर्ष 1623 में प्रहलाद राय निवासी बड़ेगांव कालपी संयुक्त राज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) से आए और देवगढ़ रियासत उस समय जिला छिंदवाड़ा से ओहदा देशपांडे कानूनगो पद पर चौरई में पदस्थ होकर छपारा आए और कार्य किया। उसके बाद उनके पुत्र बलिराम एवं परिजनों के द्वारा छपारा आकर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। यह मंदिर राजा बख्तबुलंद और बागियों के बीच सिवनी के परबापुर की लड़ाई जैसे अनेकों काल का साक्षी है, वहीं मंडला के राजा का ऐतिहासिक राज-काज मंदिर के काल की गवाही देते है, जहां वर्तमान में दादू नवीन चंद की पीढ़ी वर्ष 1931 से पंचदेव मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में माने जाते आ रहे हैं।
यथावत रहेगा प्राचीन गर्भगृह
लगभग ४०० वर्ष का इतिहास लिए हुए इस मंदिर में समय-समय पर परिवर्तन किए गए, जिससे इसका बाहरी स्वरूप बदलता रहा, लेकिन उसके भीतरी हिस्से के साथ कभी छेड़छाड़ नही की गई, इसी वजह से इस स्थान पर लोगों की गहरी आस्था है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक मंदिर के निर्माण का यह 398वां वर्ष चल रहा है, जहां गर्भ गृह में मुख्य मूर्ति वीर हनुमान की है, इसके अलावा भगवान शंकर, भगवान गणेश, देवी प्रतिमा के साथ राधा कृष्ण की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर समिति के सदस्य मनीष पाठक और अखिलेश श्रीवास्तव के द्वारा जानकारी दी गई कि मंदिर का जीर्णोद्धार फिर एक बार किया जा रहा है। गर्भ गृह को बिना किसी छेड़छाड़ के मूल स्वरूप में रखा जा रहा है, वहीं नए गुंबद एवं कलश स्थापित करने का कार्य किया जा रहा है। अभी तक का जो भी कार्य किया जा रहा है इसमें स्थानीय लोगो का सहयोग से हो रहा है।
धरोहर बचाने नागरिक कर रहे प्रयास
नगर की इस प्राचीन धरोहर पंचदेव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मंदिर समिति को सनातन धर्मियों और आमजनों के द्वारा स्वप्रेरणा से धन व सामग्री का सहयोग किया जा रहा है। शासन द्वारा प्राचीन धरोहर के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से मंदिर समिति नगर का भ्रमण करते हुए सनातन धर्मियों सहित दानदाताओं के घरों में पहुंचकर स्वेच्छा से सहयोग लेकर प्राचीन मंदिर के संरक्षण की बात कह रही है।
मन्दिर के इतिहास के विषय में जानकारी देते हुये अखिलेश श्रीवास्तव जिनके पूर्वजों के द्वारा इस मंदिर का रख रखाव किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डालें तो मंदिर निर्माण करने वाले वर्ष 1623 में प्रहलाद राय निवासी बड़ेगांव कालपी संयुक्त राज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) से आए और देवगढ़ रियासत उस समय जिला छिंदवाड़ा से ओहदा देशपांडे कानूनगो पद पर चौरई में पदस्थ होकर छपारा आए और कार्य किया। उसके बाद उनके पुत्र बलिराम एवं परिजनों के द्वारा छपारा आकर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। यह मंदिर राजा बख्तबुलंद और बागियों के बीच सिवनी के परबापुर की लड़ाई जैसे अनेकों काल का साक्षी है, वहीं मंडला के राजा का ऐतिहासिक राज-काज मंदिर के काल की गवाही देते है, जहां वर्तमान में दादू नवीन चंद की पीढ़ी वर्ष 1931 से पंचदेव मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में माने जाते आ रहे हैं।
यथावत रहेगा प्राचीन गर्भगृह
लगभग ४०० वर्ष का इतिहास लिए हुए इस मंदिर में समय-समय पर परिवर्तन किए गए, जिससे इसका बाहरी स्वरूप बदलता रहा, लेकिन उसके भीतरी हिस्से के साथ कभी छेड़छाड़ नही की गई, इसी वजह से इस स्थान पर लोगों की गहरी आस्था है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक मंदिर के निर्माण का यह 398वां वर्ष चल रहा है, जहां गर्भ गृह में मुख्य मूर्ति वीर हनुमान की है, इसके अलावा भगवान शंकर, भगवान गणेश, देवी प्रतिमा के साथ राधा कृष्ण की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर समिति के सदस्य मनीष पाठक और अखिलेश श्रीवास्तव के द्वारा जानकारी दी गई कि मंदिर का जीर्णोद्धार फिर एक बार किया जा रहा है। गर्भ गृह को बिना किसी छेड़छाड़ के मूल स्वरूप में रखा जा रहा है, वहीं नए गुंबद एवं कलश स्थापित करने का कार्य किया जा रहा है। अभी तक का जो भी कार्य किया जा रहा है इसमें स्थानीय लोगो का सहयोग से हो रहा है।
धरोहर बचाने नागरिक कर रहे प्रयास
नगर की इस प्राचीन धरोहर पंचदेव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मंदिर समिति को सनातन धर्मियों और आमजनों के द्वारा स्वप्रेरणा से धन व सामग्री का सहयोग किया जा रहा है। शासन द्वारा प्राचीन धरोहर के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से मंदिर समिति नगर का भ्रमण करते हुए सनातन धर्मियों सहित दानदाताओं के घरों में पहुंचकर स्वेच्छा से सहयोग लेकर प्राचीन मंदिर के संरक्षण की बात कह रही है।