एक शाला भवन में लग रही प्राथमिक-माध्यमिक शाला, पृथक माध्यमिक शाला भवन, शिक्षकों की व्यवस्था बनाने की मांग
किंदरई (सिवनी). शाला भवन के अभाव में प्राथमिक शाला भवन में ही माध्यमिक शाला संचालित किए जाने व माध्यमिक कक्षा के छात्रों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं होने से परेशान आधा सैकड़ा से अधिक विद्यार्थियों के अभिभावक, ग्रामीण सोमवार को स्कूल भवन कुकरा के सामने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन में बैठ गए।
विकासखण्ड घंसौर के जनपद शिक्षा केंद्र केदारपुर के शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक शाला कुकरा में प्राथमिक शाला भवन में कक्षा पहली से पांचवीं तक के बच्चों के पढऩे के लिए यहां मात्र दो कमरे और एक बरमादा है उसी स्कूल भवन में माध्यमिक स्कूल का संचालन करते हुए उन्हीं कमरों में कक्षा छटवीं, सातवीं और आठवीं के लगभग 78 विद्यार्थियों को बिठाकर अध्यापन कार्य कराया जा रहा है। माध्यमिक कक्षा के लिए अतिरिक्त शाला भवन के नहीं होने से सभी विद्यार्थियों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। अपने बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित पांच गांव के आधा सैकड़ा से अधिक महिला-पुरुष अभिभावकों ने धरना दिया।
पालक शिक्षा संघ समिति शासकीय नवीन माध्यमिक शाला कुकरा में आने वाले विद्यार्थियों के पालकों के प्रदर्शन के तहत पांच सूत्रीय मुख्य मांगों में उन्होंने बताया कि माध्यमिक शाला में शिक्षक नहीं है। माध्यमिक शाला भवन नहीं है। किचिन रूम एवं भंडार कक्ष गिरने की कगार में पहुंच गया है तथा स्कूल में बाऊण्ड्रीबॉल नहीं है जबकि स्कूल के समीप लगभग 100 फीट की दूरी पर पानी से भरा तालाब है जहां कभी भी कोई हादसा घट जाए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में शीघ्र ही माध्यमिक शाला भवन का निर्माण कार्य किया जाए, शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। वहीं अभिभावकों ने साफ कहा है कि इस प्रकार की व्यवस्था अगर नहीं की जा सकती है तो शीघ्र ही पालक द्वारा टीसी मांगे जाने पर उन्हें टीसी प्रदान किया जाए।
पांच गांव से पढऩे आते हैं विद्यार्थी
ग्रामवासियों उजियार सिंह तिलगाम, अनमोल सिंह मरकाम, पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष देवी सिंह विश्कवर्मा, हजारी लाल परते, संगीता मरावी, पार्वती तिलगाम, धूपवती मरावी, वैजंती परते, रुकमणी विश्वकर्मा, जगत सिंह परते, रजे सिंह सिरसाम, मनोज उइके, दसिया कुमरे आदि ने बताया ग्राम पंचायत फुलारे में पांच गांव के बच्चें पढने आते हैं। फुलेरा, गढ़ी, कुकरा, केवलारी, कुकरी के छात्र-छात्राएं पढऩे आते हैं।
ग्राम कुकरा में प्राथमिक शाला भवन है जहां पहली से पांचवी तक 3५ विद्यार्थियों की दर्ज संख्या है। प्राथमिक शाला भवन में मात्र दो कमरे और एक बरामदा है तथा एक छोटा से कार्यालय कक्ष है। जहां प्राथमिक स्कूल के बच्चों को ही पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं वहीं इन्हीं कमरों में माध्यमिक शाला में दर्ज 78 विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। एक कमरे में कक्षा छटवीं, सातवीं के विद्यार्थियों को व एक कमरे में कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों को बिठाया जाता है। बरामदे में कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवीं के 3५ विद्यार्थियों को बिठाकर पढ़ाया जा रहा है।
माध्यमिक के नहीं है शिक्षक
ग्रामीणों ने बताया कि पोर्टल में माध्यमिक शाला कुकरा में दो शिक्षकों की पदस्थापना तो दिखा रहा है लेकिन अभी तक माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के नाम पर एक भी शिक्षक नहीं है। इन विद्यार्थियों को प्राथमिक शाला के शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। ऐसे में सभी छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। छात्रों की पढ़ाई व भविष्य को लेकर अभिभावक खासे चिंतित नजर आ रहे हैं। उनका साफ करना है कि या तो अलग से भवन बने, शिक्षकों की शीघ्र नियुक्ति हो नहीं तो छात्रों की टीसी दी जाए जिससे वे अपने बच्चों को अन्यंत्र स्कूल में पढ़ाने भेज सकें।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2014 में घंसौर में कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय था, छात्र संख्या कम होने के कारण उक्त स्कूल वर्ष 2014 में बंद कर दिया गया। वहीं घंसौर से 28 किलोमीटर दूर स्थित शासकीय माध्यमिक शाला कुकरा में संचालित होने लगा लेकिन माध्यमिक शाला भवन का निर्माण अभी तक नहीं हुआ। जिसके चलते माध्यमिक स्कूल के छात्रों को अभी तक प्राथमिक शाला भवन में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के अन्य कमरों में पढ़ाया जा रहा है। वहीं घंसौर स्कूल में जो दो शिक्षक पदस्थ थे उन्हें कुकरा माध्यमिक शाला में आदेशानुसार भेजा गया। लेकिन दोनों शिक्षक-शिक्षिकाएं अभी तक अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज कराई है। ऐसी स्थिति में कुकरा में संचालित प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के बच्चों को वहां पूर्व में पदस्थ प्राथमिक शाला के एक शिक्षक-शिक्षिका पढ़ा रही हैं। ग्रामवासियों ने उक्त समस्या से क्षेत्रीय विधायक, कलेक्टर, एसडीएम, सीईओ को भी अवगत करा दिए हैं।
संकीर्ण कमरे में जहां पढ़ाई भी ठीक तरीके से नहीं हो पाती है वहीं सभी बच्चों को जब मध्यान्ह भोजन परोसा जाता है तो भोजन करने के समय भी विद्यार्थियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।