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शिक्षा का जुनून: दिन में बच्चों को, रात ग्रामीणों को दे रहे शिक्षा

locationसिवनीPublished: Feb 11, 2019 11:34:03 am

Submitted by:

mahendra baghel

किताब और सामान्य ज्ञान में यहां का हर विद्यार्थी है अव्वल

Passion for education

शिक्षा का जुनून: दिन में बच्चों को, रात ग्रामीणों को दे रहे शिक्षा

सिवनी. शिक्षा के बिना जीवन कितना अधूरा है, इस बात को महसूस कर रहे शिक्षक राजेश परते ने मजबूत इरादों के साथ पूरे माहुलपानी गांव को शिक्षित करने की जिद ठानी है, उसके प्रयास सफलता के पायदान को लगातार पार कर रहे हैं। दिन में बच्चों की और रात में ग्रामीण महिला-पुरुषों को नि:शुल्क शिक्षा देने किसी भी घर के आंगन में स्कूल लगा लिया जाता है। यहां का हर विद्यार्थी ज्ञान में किसी गूगल बॉय से कम नहीं है, सामान्य ज्ञान के हर सवाल का झटपट जवाब मिल जाता है। सटीक जवाब सुनकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं।
छपारा विकासखंड के ग्राम माहुलपानी ग्राम के प्राथमिक शाला में बतौर सहायक अध्यापक पदस्थ राजेश परते ने अपनी विशेष शिक्षण शैली से अपनी, शाला की व गांव की एक अलग पहचान बना ली है। सहायक अध्यापक बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ उन्हें पूरे विश्व के सामान्य ज्ञान की जानकारियां भी देते हैं। माहुलपानी के प्राथमिक शाला में पढऩे वाले विद्यार्थी गूगल बॉय से कम नहीं है, जिन्हें अपने गांव के सरपंच से लेकर देश, विदेश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम और विभिन्न प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य जानकारी है। इतना ही नहीं इन विद्यार्थियों को देश में बहने वाली मुख्य नदियों की जानकारी से लेकर और भी कई जानकारियां हैं, जिन्हें पूछते ही हाजिर जवाब की तरह बता देते हैं।
इस शाला का विद्यार्थी लोकेश राठौर जोकि पांचवी कक्षा में है, 30 सेकंड में ही प्रदेश के 52 जिलों के नाम बता देते हैं। इतना ही नहीं देश के महापुरुषों और महानगरों के नाम यूं रटे हुए हैं जैसे गूगल में क्लिक करते ही जानकारी सामने आ जाती है। इसी तरह एक अन्य छात्र सत्यम राठौर जोकि चौथी कक्षा में है वह भी इसी तरह की याददाश्त का धनी है। वहीं माया राठौर नाम की बच्ची भी बहुत कुशलता से सामान्य ज्ञान के प्रश्नों का जबाब चुटकियों में दे देती है। इन बच्चों को होनहार बनाने के लिए शिक्षक राजेश परते सतत प्रयास करते हंै। शिक्षक का कहना है कि प्राथमिक शाला में पढऩे वाले लगभग सभी बच्चे, गरीब और मजदूर किसानों के हैं। मैं चाहता हूं कि यह गांव के स्कूल से पढ़कर एक काबिल इंसान बनें और अपनी योग्यता के बल पर उच्च पदों पर पहुंचे और अपने गांव का नाम रोशन कर देश और प्रदेश में अपनी पहचान बनाए।
ग्रामीणों में जला रहे शिक्षा का दीप –
शायद यह प्रदेश का पहला ही गांव होगा जहां शासकीय स्कूल का एक शिक्षक स्कूल से छुट्टी होने के बाद भी लोगों को पढ़ाने और साक्षर करने में जुटा हुआ है। माहुलपानी प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ सामान्य ज्ञान की शिक्षा भी देते हैं। अपने जुनून के चलते अब वह रात के समय में गांव के लोगों को चौपाल लगाकर पढ़ाते हैं और उन्हें साक्षर भी बना रहे हैं। यह सेवाकार्य नि:शुल्क कर रहे हैं। शिक्षक का कहना है कि बच्चों के पालक यदि शिक्षा के महत्व को समझ जाएंगे तो अपने बच्चों को मजदूरी और खेत में काम कराने के बजाय स्कूल भेजेंगे और इसी उद्देश्य के साथ वह प्रतिदिन रात समय निकालकर ग्रामीणो को भी पढ़ाने का काम कर रहे हैं। जबकि इस गांव में सीमित संसाधन है, कई बार बिजली भी नही रहती है। 20 से 25 लोगों के बैठने की जगह नहीं होने पर किसी भी ग्रामीण के आंगन में बैठते हैं। बावजूद इसके लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
इस गांव की महिला 35 वर्षीय सुकेन्द उईके ने बताया कि लगभग एक माह से रात्रि में ०8 बजे से 11 बजे रात तक मासाब के द्वारा लगभग 25 से 30 ग्रामीणों को शिक्षा दी जा रही है। शुरुआत में तो 10 से 12 लोग ही आते थे अब धीरे-धीरे संख्या बढ़ती जा रही है और अब मुझे दस्तखत करते बनने लगा है। इसी तरह 30 वर्षीय ग्रामीण महिला फूलकुमारी मसराम जिनके दो बच्चे इसी ग्राम के प्राथमिक शाला में पढ़ते है।ं इन्होंने भी बताया कि शिक्षक राजेश परते द्वारा रात्रिकालीन ग्रामीणों के लिए स्कूल लगाकर साक्षर किया जा रहा है और वह भी अब दस्तखत करना सीख गई हैं। साथ ही नई नई कहानियां और कविता पढऩा अच्छा लगता है और हम रोज सभी घरेलू काम से फुर्सत होकर पढऩे आ रहे हैं।
इसी तरह ३1 वर्षीय कविता भलावी ने भी बताया कि उनके बच्चे बड़ी क्लासों में पढ़ते है एक सातवीं में तो एक नवमीं कक्षा में है। गांव मे जब रात को हो रही पढ़ाई में दूसरे महिला-पुरुष पढऩे आ रहे तो मेरी भी इच्छा हुई कि हम भी पढ़ाई करके साक्षर बनेंगे। इसके लिए मेरे बच्चों ने भी प्रोत्साहित किया है। 35 वर्षीय कुमार सिंह मसराम ने अभी बताया कि इस रात्रि कालीन स्कूल में शुरुआत में 5 से 10 लोग आते थे। अब धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ रही है। ग्रामीण किसान गिरजलाल पिता मेरसिंह भलावी ने कहा कि वे अब रात्रि कालीन स्कूल के एक विद्यार्थी बनकर शिक्षक राजेश परते से पढऩा सीख रहे हैं।
ग्राम के ही 74 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक बलराम सिंह राठौर से जब बात की गई तो उन्होंने शिक्षक राजेश परते की शिक्षण शैली की तारीफ की। उन्होंने बताया कि विगत एक वर्ष से इस छोटे से माहुलपानी ग्राम का नाम इन्होंने क्षेत्र में रोशन किया है। अब यहां के ग्रामीणों को भी रात में नि:शुल्क शिक्षा देकर मन में शिक्षा का दीप जला रहे हैं। जबकि ऐसे कामों के लिए शासन द्वारा मोटी राशि खर्च की जाती है तब भी लोगों को उतना लाभ नहीं मिलता जितना कि इनके द्वारा बिना कोई अतिरिक्त आर्थिक लाभ लिए मेहनत और लगन से लोगों को शिक्षित बनाने का कार्य किया जा रहा है।
सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणा –
माहुलपानी के शिक्षक राजेश परते का समर्पण ही है कि बच्चे किताबी ज्ञान से आगे सामान्य ज्ञान में निपुण हो रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीणों में भी शिक्षा पाने का उत्साह है। सभी शिक्षक इनसे प्रेरणा लेकर कार्य करें, तो सरकारी स्कूलों में दर्ज संख्या बढ़ेगी और परिणाम बेहतर से बेहतर प्राप्त होंगे।
सुनील राय, बीआरसीसी छपारा

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