हनुमान मंदिर बिनैकीकला में जारी श्रीमद् भागवत कथा
सिवनी•Mar 12, 2019 / 11:47 am•
santosh dubey
कथा श्रवण करने से मिलती है शांति
सिवनी. मनुष्य जीवन में वाणी से कम बोलना यह भी तपस्या है आंखें भगवान ने दी हैं। प्रभु का दर्शन करने तथा हाथों से पुरुषार्थ करने के लिए। उक्ताशय की बात हनुमान मंदिर बिनैकीकला में जारी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथावाचक पं. कामता प्रसाद गौतम ने श्रद्धालुजनों से कही।
उन्होंने आगे कहा कि पूतना मन में कपट रखकर भगवान दुधपान करा रही थी परन्तु कपट के कारण जान गवानी पड़ी। जहां भागवत कथा होती है वहां स्वयं भगवान भक्तों को निहारते हैं।
सूरदास ने बालक कृष्ण का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया है जिसने यशोदा के कृष्ण के प्रति वात्सल्य को अमर कर दिया। यशोदा के इस लाल की जिद्द भी तो उसी की तरह अनोखी थी मां मुझे चांद चाहिए। श्री कृष्ण के व्यक्तित्व के अनेक पहलू है वह मां के सामने रूठने की लीलाएं करने वाले बालक कृष्ण हैं तो अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले योगेश्वर कृष्ण भी हैं। महाभारत युद्ध में इसके नायक भी हैं पर कितनी अनोखी बात है कि इस युद्ध में उन्होंने शस्त्र नहीं उठाया इस अनूठे व्यक्तित्व को किस ओर पकड़ों कि यह अंक में समा जाए पर कोशिश हर बार अधूरी ही रह जाती है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं में पर्वत को नख में उठाने की उनकी लीला काफी चर्चित है श्रीकृष्ण जब सो कर उठे तो देखा कि उनकी यशोदा मैया अपने मुख पर पट्टी बांधकर कई तरह के पकवान बना रही हैं। कन्हैया ने जब पकवान खाने के लिए मांगे तो यशोदा मैया ने मना कर दिया इस पर बाल कृष्ण नंद बाबा के पास पहुंचे और रोने लगे नंद बाबा ने जब कारण जाना तब उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई। उन्होंने बताया कि इंद्र हम सब के देवता हैं बादल और वर्षा उनके ही रूप में जब हम उनकी पूजा करते हैं और कई प्रकार के पकवानों के भोग लगाते हैं तब ऐसा करते हैं जिससे या धरती हरी भरी हो जाती है और फसलें लहलाती हैं। महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन साथ-साथ श्रीराम की कथा भी भक्तों को सुनाई। कथा में मंगलवार कृष्ण-विवाह विवाह की झाकी के दर्शन होंगे।