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प्रेमचंद का किसान आज भी प्रताडि़त है, देखें वीडियो

locationसिवनीPublished: Aug 02, 2018 12:51:24 pm

Submitted by:

mahendra baghel

परिचर्चा के माध्यम से जयंती पर किया प्रेमचंद को याद

Premchand's farmer still

प्रेमचंद का किसान आज भी प्रताडि़त है, देखें वीडियो

सिवनी. प्रगतिशील लेखक संघ और प्रत्यंचा सृजन समिति के संयुक्त आयोजन में प्रेमचंद की 138वीं जयंती पर बुद्धिजीवियों ने उनके अवदान को याद किया और मौजूदा समय में प्रेमचंद की प्रासंगिकता को सही बताया।
प्रेमचंद की कहानियों में किसान जीवन और मौजूदा परिदृश्य विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान प्रगतिशील लेखक संघ प्रलेस की जिला इकाई के अध्यक्ष और समाजसेवी नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि प्रेमचंद का किसान आज भी पीडि़त और प्रताडि़त है। प्रेमचंद किसानों की व्यथा के सच्चे कहानीकार रहे हैं, लेकिन स्वतंत्र भारत में किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अग्रवाल ने बताया कि मॉब लींचिंग की घटनाए इसलिए घटित हो रही हैं क्योंकि आज के रचनाकारों में प्रेमचंद जैसी प्रतिबद्धता नहीं रही।
रिटायर्ड अपर कलेक्टर एसएस बघेल ने कहा कि देश भले आजाद हो गया है लेकिन भारत का किसान आज भी गुलाम जैसा ही है। प्रलेस से जुड़े साहित्यकार पदम सोनी ने बताया कि प्रेमचंद का लेखन आदर्श से प्रेरित और यथार्थवादी था। प्रेमचंद की नेऊर कहानी के माध्यम से बताया कि धर्म का पाखंड और अंधविश्वास भी किसान के शोषण के लिए जिम्मेदार हैं ।
विज्ञापन फिल्मों के युवा निर्देशक अंशुल सोलंकी ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों का विराट फलक पर फिल्मांकन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद ने कुछ दिनों तक फिल्मों के लिए भी लेखन किया था। डॉ. कामाक्षा बिसेन ने कहा कि प्रेमचंद अपने लेखन में भारतीय नारी के पक्षधर रहे हैं।
परिचर्चा के दौरान हुआ भावपूर्ण कहानी पाठ
प्रलेस के सचिव प्रो. सत्येन्द्र कुमार शेन्डे ने बताया कि प्रेमचंद ने बलिदान नामक कहानी 1918 में लिखी थी, जो सौ सालों बाद आज भी प्रासंगिक है। परिस्थितियों के कारण कहानी के मुख्य पात्र गिरधारी किसान को आत्महत्या करनी पड़ती है। मीना जायसवाल, रंगकर्मी पंकज सोनी और सत्येन्द्र शेन्डे ने भावपूर्ण कहानी पाठ कर सभी लोगों को भावुक कर दिया। कहानी पाठ के इस अनोखे अंदाज को सभी ने सराहा।
साहित्यकार चातक ने कहा कि कबीर के बाद प्रेमचंद जन चेतना से समृद्ध रचनाकार हैं । कवि जगदीश तपिश और एडवोकेट अखिलेश यादव ने प्रेमचंद को पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक बताया। डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी ने कहा कि प्रेमचंद निर्भीक और इमानदार लेखक थे, उनके बाद के साहित्यकारों में समाज सुधार की कोशिश नहीं मिलती। अखिलेश दादू श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद सही मायने में किसान व्यथा के गाथाकार हैं। इंजीनियर आनंद ने कहा कि प्रेमचंद आज भी युवा पीढ़ी के लिए आदर्श हैं । प्रत्यंचा सृजन समिति की अध्यक्ष मीना जायसवाल ने बताया कि प्रेमचंद किसान और महिला विमर्श के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। जयंती कार्यक्रम में शहर के नागरिक और युवा विद्यार्थी भी उपस्थित थे। परिचर्चा का संचालन प्रोफेसर सत्येन्द्र शेन्डे और पंकज सोनी ने किया। आभार नरेंद्र अग्रवाल ने जताया।
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