scriptविधायक बनाथर को नहीं बना सके अपने गांव जैसा, समस्याएं बरकरार | Rajneesh Baner could not be made MLA, problems like that | Patrika News

विधायक बनाथर को नहीं बना सके अपने गांव जैसा, समस्याएं बरकरार

locationसिवनीPublished: Sep 14, 2018 12:59:49 pm

Submitted by:

santosh dubey

भाजपा-कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत वाले बूथों की ग्राउंड रिपोर्ट

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जर्जर पुलिया से आवागमन बाधित

संतोष दुबे, सिवनी. केवलारी विस के कांग्रेस विधायक रजनीश सिंह को वर्ष 2013 के चुनाव में बूथ क्रमांक 136 प्रा.शा.भ. केवलारी अधिक वोट मिले। भाजपा के ढाल सिंह बिसेन को बूथ क्रमांक 293 प्रा.शा.भ. बनाथर पर कांग्रेस को सर्वाधिक वोट मिले थे। दोनों जगह पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों को अब तक मुक्ति नहीं मिली है। जनता की अपेक्षाओं पर कांग्रेस व भाजपा में से कोई खरा नहीं उतरा। नतीजा उक्त समस्या अब भी बनी है। विधायक रजनीश ने ग्राम बनाथर को अपने गृह ग्राम बर्रा की तरह विकास कराने का वादा किया, लेकिन चुनाव का समय आ गया और बनारथ में पूर्व की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई है।
इ स बूथ पर सभी वर्गों के वोटर हैं। कांग्रेस की परंपरागत वोट माने जाने वाले केवलारी में भाजपा ने सेंध लगाते हुए यहां सर्वाधिक वोट हासिल तो किए लेकिन पैरासूट प्रत्याशी की हार और उन्हें अधिक महत्व देेने के चलते यहां स्थानीय नेताओ औैर कार्यकर्ता की उपेक्षा हुई। 100 बिस्तर वाले अस्पताल की मांग पर 50 बिस्तर अस्पताल की स्वीकृति मिली। तीनों तरफ नदी से घिरे रहने के बावजूद केवलारी नगर प्यास रहता है। नगर पंचायत की घोषणा के बाद भी कुछ नहीं हुआ। मोगली अमोदागढ़ से सिद्धघाट का ट्रेक है, जो विश्व विख्यात है फिर भी कांग्रेस-भाजपा ने इस ओर कोई ख्याति उपलब्ध काम नहीं किया है। किसानों पर ध्यान नहीं दिया गया। 25 से 30 साल की नहरें जीर्णशीर्ण अवस्था में है। आंदोलन हुए पर काम नहीं। यहां भाजपा के प्रत्याशी डॉ. ढालसिंह बिसेन को सर्वाधिक 597 वोट मिले थे। कांग्रेस के रजनीश हरवंश सिंह को 294 व शक्तिसिंह को 49 वोट मिले थे। हार के बाद भी भाजपा ने यहां से किनारा काटा है। पवन यादव ने बताया कि यहां उद्योग-धंधे नहीं होने से बेरोजगारी छाई है। काम की तलाश में महानगरों की ओर युवा कूच करते हैं। कांग्रेस विधायक ने केवलारी में विशेष काम के लिए विधायक निधि देने में कंजूसी दिखाई है। सौगात के नाम पर कोई बड़ी उपलब्धि नहीं मिली है। सिर्फ अधूरे पुलों का निर्माण हुआ है। शिक्षा में भी यह क्षेत्र पिछड़ा है।
इ स बूथ पर बनाथर रेचना, रेचना टोला, सनाथर, डूढीकैम्प, गुरेरा, कुरेरामॉलरैय्यत गांव के मतदाता आते हैं। कांग्रेसी गांव होने और यहां से कांग्रेस से विधायक बने रजनीश हरवंश ठाकुर को 681 वोट मिले थे। जबकि भाजपा के डॉ. ढालसिंल बिसेन को महज 139 व शक्ति सिंह को 21 वोट मिले थे। गांव के पंच देवेन्द्र शांडिल्य का कहना है कि गांव के विकास के लिए न तो भाजपा ने और न ही कांग्रेस ने यहां कुछ किया है। विधायक रजनीश ने कहा था कि बर्रा और बनाथर में कोई अंतर नहीं हैं। ये मेरा गांव है। पर विकास के पूरी तरह से ठप है।
विकास से पिछड़ा गांव
नए कार्यों की सूची तो बनी लेकिन काम के मामले में पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार है ग्राम पंचायत। नल जल योजना गांव में अभी तक नहीं है। पांडियाछपारा से बनाथर रोड में गहरे व चौड़े गड्ढें हैं। मार्ग पूरा कच्चा है। मरम्मत की मांग के बाद भी किसी ने कुछ नहीं किया। श्याम सिंह बरकड़े के घर से चैनलाल, पीडब्ल्यूडी रोड से छिन्नूलाल के घर तक की रोड सीसी रोड में तब्दील नहीं हुई है। बस्ती के अंदर भी छोटे-छोटे अनेक मार्ग अभी भी कच्चे हैं। तालाब का रपटा जर्जर है और पुल के बीच गड्ढा है। गर्मी के दिनों में ग्रामीणों को पेयजल व्यवस्था के लिए लगभग दो किलोमीटर दूर जाना-आना पड़ता है। रविन्द्र नेवारे के मकान का प्रस्ताव आया लेकिन मकान अभी तक नहीं बना है।

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