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इस जेल में बंदी रहे हैं नेताजी सुभाष, विनोवा भावे, गोलवलकर जैसे क्रांतिकारी

locationसिवनीPublished: Aug 14, 2022 07:54:39 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

ब्रिटिश हुकूमत ने क्रांतिकारियों को महीनों कारागार में किया था निरुद्ध

इस जेल में बंदी रहे हैं नेताजी सुभाष, विनोवा भावे, गोलवलकर जैसे क्रांतिकारी

इस जेल में बंदी रहे हैं नेताजी सुभाष, विनोवा भावे, गोलवलकर जैसे क्रांतिकारी

सिवनी. देश आज आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है। इस दिन उन आजादी के दीवानों और उनके संघर्षों को भी याद किए जाने की जरूरत है, जिन्होंने न सिर्फ अपना खून देश के लिए दिया, बल्कि जान भी हंसते-हंसते न्यौछावर कर दी। सिवनी जेल में ऐसे ही कई क्रांतिकारी महीनों ब्रिटिश हुकूमत के दौर में बंदी रहे और यातनाएं सहकर भी देश की आजादी का संघर्ष जारी रखा, उन्हीं की बदौलत आज आप और हम देश की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
आजाद हिन्द फौज का गठन कर तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जैसे नारे बुलंद कर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देशवासियों में प्राणवायु फूंकने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की स्मृतियां सिवनी से भी जुड़ी हैं। ब्रिटिश हुकूमत ने 149 दिन नेताजी सुभाष को सिवनी कारागार में निरुद्ध किया था, इनकी स्मृतियां आज भी उसी स्वरूप में सुरक्षित हैं।
थाना कोतवाली के पीछे स्थित पुराने जेल भवन में देश के महान जननायकों को ब्रिटिश हुकूमत ने निरुद्ध किया था, उस भवन में अब बाल संरक्षण गृह (सुधारालय) का संचालन किया जा रहा है। हालांकि जननायकों की स्मृतियों को मूल स्वरूप में रखे जाने के पूरे प्रयास हुए, जिससे ये सभी स्मृतियां सुरक्षित हैं।
कई और क्रांतिकारी रहे हैं सिवनी जेल में
पुराने जेल भवन में दर्ज रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1932 के जनवरी महीने की ०३ तारीख को ब्रिटिश हुकूमत ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को सिवनी कारागार में लाया था, यहां नेताजी को 30 मई 1932 तक बंदी के रुप में रखा गया था। इस दौरान नेताजी के साथ कई और महान क्रांतिकारी भी रहे हैं, जिनमें मुख्य रुप से नेताजी के भाई शरदचंद्र बोस भी शामिल हैं। इसी कारागार में आचार्य विनोबा भावे, माधव सदाशिव गोलवलकर, शिवदास डागा, सेठ गोविंद दास व अन्य भी निरुद्ध हुए थे। इस कक्ष को स्मृति कक्ष नाम देकर आज भी उसी स्वरूप में रखा गया है। बताया जाता है कि सिवनी जेल में बंदी रहने के दौरान भी क्रांतिकारी यहां आंदोलनों की रूपरेखा बनाते और गुप्त सूचनाओं को किराना सामान लाने वाले, सफाई वालों के माध्यम से बाहर तक पहुंचाते थे।
खुद भोजन पकाते थे नेताजी
कारागार में रहने के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा अपना भोजन स्वयं पकाया जाता था। बंदी कक्ष के ठीक सामने रसोई कक्ष है, जिसमें चूल्हे पर नेताजी प्रतिदिन अपना भोजन बनाया करते थे। इस स्थान को भी बाल सुधारालय प्रबंधन द्वारा स्मृति स्वरुप संजोकर अपने मूल स्वरुप में रखा गया है।

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