सड़क में लगे गति अवरोधक बे्रकर हुए छतिग्रस्त
सिवनीPublished: Feb 22, 2020 08:39:27 pm
लंबे समय तक उपयोग न होने के कारण अब इनका क्षरण होने लगता है।
सड़क में लगे गति अवरोधक बे्रकर हुए छतिग्रस्त
सिवनी. शहर और जिले का यातायात सुधारने के लिए पुलिस प्रशासन कई कदम उठा रहा है। जिसके तहत एनएच-7 में ब्रेकर बनवाए गए थे। हालाकि बाद में हादसों के न के कारण इन ब्रेकरों को तुड़वा भी दिया गया। इसके साथ ही ब्लैक स्पॉटों की पहचान कर उन पर संकेतक आदि लगाने का काम किया था।
सड़क हादसे रोकने के लिए अब शहरों की सड़कों पर स्पीड ब्रेकर लगाए जा रहे हैं। प्लास्टिक के लगाए गए ये ब्रेकर टूट रहे हैं। जिससे सड़क पर लगी कीलें अब वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। इनसे हादसों की आशंका बढ़ रही है।
शहर के विभिन्न हिस्सों में दर्जनो की संख्या में ब्रेकर बने हुए हैं। इनमें नियमों का ख्याल नहीं रखा गया है। कई ब्रेकर तो एक-एक फीट तक ऊंचे हैं। इन ब्रेकरों के कारण एक दो मौत भी हो चुकी हैं। एसपी बंगला से मंडला बालाघाट वाले मार्ग में आते वक्त मठ मंदिर से कटंगी नाका, एफसीआई रोड आदि में काफी बड़े बड़े ब्रेकर बना दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि ये ब्रेकर ऐसे होने चाहिए कि वाहनों की गति कम हो, लेकिन वाहन चालक को झटका न लगे।
यातायात प्रभारी गौरव चाटे से इन स्टापर की क्वालिटी के संबंध में बात किए जाने पर उनका कहना है कि हो सकता है लगाने में कुछ गड़बढ़ी हो। लगाने का काम पीडब्लूडी करती है। छतिग्रस्त हुए ब्रेकर भी पीडब्लूडी के द्वारा ही निकाला जाएगा। इन स्टापरों को ऐसे मार्गों में लगाया जा रहा है जहां ट्रेफिक हेवी नहीं है। लेकिन क्वालिटी खराब होने की बात सामने आ रही है। जिस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान मेें यह मामला लाया गया है। वहीं जानकारों का कहना है कि ये स्टापर पीवीसी के बने हुए हैं, जो रखे रखे खराब होने लगते है। लंबे समय तक उपयोग न होने के कारण अब इनका क्षरण होने लगता है। नगर में लगाए गए स्टॉपर इसी के कारण खराब हो रहे हैं।
सिवनी मंडला मार्ग पर कान्हीवाड़ा थाना के पास इन ब्रेकरों को लगाया गया था। मात्र एक सप्ताह में ये ब्रेकर दम तोड़ चुके हैं। प्लास्टिक के बने ये ब्रेकर वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। इन ब्रेकरों को सड़क सुरक्षा के मापदंड के अनुसार सही ऊंचाई का बनाया गया है। जिससे वाहन चालकों को झटका ना लगे लेकिन जिस मटेरियल का इनमें प्रयोग किया गया है वह अति घटिया गुणवत्ता का है। जिसके कारण पीले, काले रंग के बने इन स्पाटरों से काला हिस्सा सप्ताह भर में ही उखड़ गया है।