पेंच का नामकरण-
जिले की सीमाओं पर ११६८ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के कई प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।
पेंच की विशेषता-
अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट रंगबिरंगे पक्षियों का कलर शीतल हवा के झोंके सोंधी-सोंधी महकती माटी वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते कई प्रजाति के पक्षियों पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल सांभर और नीलगाएं भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग ६० से ८० बाघों से भरा पड़ा है।
जिले की सीमाओं पर ११६८ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के कई प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है।
पेंच की विशेषता-
अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट रंगबिरंगे पक्षियों का कलर शीतल हवा के झोंके सोंधी-सोंधी महकती माटी वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते कई प्रजाति के पक्षियों पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल सांभर और नीलगाएं भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग ६० से ८० बाघों से भरा पड़ा है।