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शिव पूजा से होता है भवसागर पार

locationसिवनीPublished: Feb 15, 2018 11:55:22 am

Submitted by:

santosh dubey

बालपुर घंसौर में जारी शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ

Dharmakaram, Shiva Katha, Shankar, Ganesh, Parvati

सिवनी. भगवान शिव की पूजा से मनुष्य जीवन के भवसागर को पार कर सकता है व मोक्ष पा सकता है। भगवान शिवजी की अनेक लीलाएं हैं। उक्ताशय की बात खैरमाई प्रांगण बालपुर (घंसौर) में जारी शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ में कथावाचक सर्वेश महाराज ने श्रद्धालुजनों से कही। कथा का समापन 16 फरवरी को होगा।
महाराज ने भगवान शिव शंकर भोलेनाथ की गाथा एवं शिव विवाह के बाद भगवान गणेश जन्म की कथा सुनाई। गणेश गजमुख कैसे बने, इसे लेकर कथा प्रचलित है कि देवी पार्वती ने एक बार शिव के गण नंदी के द्वारा उनकी आज्ञा पालन में त्रुटि के कारण अपने शरीर के मैल और उबट न से एक बालक का निर्माण कर उसमें प्राण डाल दिए और कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। तुम मेरी ही आज्ञा का पालन करना और किसी की नहीं। देवी ने पुत्र गणेश से यह भी कहा कि हे पुत्र! मैं स्नान के लिए जा रही हूं। कोई भी अंदर न आने पाए। कुछ देर बाद वहां भगवान शंकर आए और पार्वती के भवन में जाने लगे। यह देखकर उस बालक ने विनयपूर्वक उन्हें रोकना चाहा। बालक हठ देख कर भगवान शंकर क्रोधित हो गए। इसे उन्होंने अपना अपमान समझा और अपने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर भीतर चले गए।
स्वामी की नाराजगी का कारण पार्वती समझ नहीं पाईं। उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर भगवान शिव को आमंत्रित किया। तब दूसरी थाली देख शिव ने आश्चर्यचकित होकर पूछा कि यह किसके लिए है। पार्वती बोली, यह मेरे पुत्र गणेश के लिए है जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है। क्या आपने आते वक्त उसे नहीं देखा। यह बात सुनकर शिव बहुत हैरान हुए और पार्वती को सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुन देवी पार्वती क्रोधित हो विलाप करने लगीं। उनकी क्रोधाग्नि से सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की और बालक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा। तब पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी (गज) के बच्चे का सिर काट कर बालक के धड़ से जोड़ दिया।
कहते तो यह भी हैं कि भगवान शंकर के कहने पर विष्णु जी एक हाथी का सिर काट कर लाए थे और वह सिर उन्होंने उस बालक के धड़ पर रख कर उसे जीवित किया था। भगवान शंकर व अन्य देवताओं ने उस गजमुख बालक को अनेक आशीर्वाद दिए। इस प्रकार भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ।

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