पीहर और ससुराल की समृद्धि के लिए गाए गीत…
सिवनीPublished: Apr 10, 2019 11:27:22 am
गाजे-बाजे के साथ हुआ गणगौर का विसर्जन
पीहर और ससुराल की समृद्धि के लिए गाए गीत…
सिवनी. नगर में अग्रवाल एवं मारवाड़ी समाज द्वारा 18 दिन तक चलने वाले गणगौर पूजन का समापन सोमवार को हुआ। इस मौके पर नगर की महिलाओं एवं बच्चों ने भाग लिया। ढोल-बाजे के बीच पारम्परिक श्रंगार व पहनावे में युवतियों, महिलाओं ने ग्राम के नदी तट पर गीते गाते पहुंचकर प्रतिमाओं का विसर्जन किया।
ग्राम की गणगौर उत्सव समिति की सदस्य शिवानी अग्रवाल, उन्नति अग्रवाल, मयूरी खेमुका, दिशा खेमुका, रिद्धि अग्रवाल, काव्या अग्रवाल, सृष्टि अग्रवाल, ईशु अग्रवाल, आस्था अग्रवाल, हनी अग्रवाल, मिनी अग्रवाल, छुटकी अग्रवाल, माही खेमुका, तनवी खेमुका, संजना खेमुका, रानू अग्रवाल व अन्य शामिल रहीं।
महिलाओं ने बताया कि गणगौर पूजन राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का त्यौहार है, जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलाएं शिवजी (इसरजी और पार्वती गौरी) की पूजा करती हैं, पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर-गोर गोमती गीत गाती हैं।
गणगौर राजस्थान में आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव तथा गौर) पार्वती के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं। विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्योहार है, गणगौर। यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं, चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है।
बताया कि गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। इस पर्व में गवरजा और ईसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है तथा उन गीतों के बाद अपने परिजनों के नाम लिए जाते हैं। गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में भी प्रचलित है। गणगौर पूजन में कन्याएं और महिलाएं अपने लिए अखंड सौभाग्य, अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं। उत्साह से युवतियां, महिलाएं शामिल रहे।