डोकररांजी (केवलारी) में जारी श्रीदेवी पुराण महायज्ञ
सिवनी•Jan 10, 2018 / 12:09 pm•
santosh dubey
सिवनी. महाष्टमी को महादुर्गाअष्टमी के मां से भी जाना जाता है। महा अष्टमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। नौ दिनों के इस पर्व में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। महा अष्टमी वाले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है। अष्टमी यानि दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग अपना व्रत पूर्ण करते हैं और अंत में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें घर बुलाकर उन्हें भोजन करवाकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। उक्ताशय की बात उक्ताशय की स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य बनारस से आए हितेन्द्र शास्त्री ने ग्राम पंचायत डोकररांजी (केवलारी) में जारी श्रीमद्देवी भागवत पुराण में श्रद्धालुजनों से कही
उन्होंने आगे कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। कन्याओं के पूजन के बाद ही नौ दिन के बाद व्रत खोला जाता है। व्रत को पूर्ण करने और मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए कन्याओं का अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना आवश्यक होता है। इस दिन सिर्फ मां गौरी के पूजन के साथ उनकी कथा का पाठ भी करना जरुरी होता है, इससे मां प्रसन्न होती हैं।
श्रीदेवी पुराण मनुष्य के जीवन में सुखों का संचय करने वाली होती है। पूरे मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकते हैं। भगवान की शरण में आने से मनुष्य का जीवन सार्थक हो जाता है, सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, सभी व्याधियों और समस्याओं का एक ही समाधान है, श्रीदेवी पुराण कथा का श्रवण करना। इससे दैविक, भौतिक, तापों से जो पीडि़त है उनके कष्ट दूर हो जाते हैं। समय का चक्र किसी के लिए नहीं रुकता, वह निरंतर चलता रहता है। जो कार्य हमें करना है, उसे शीघ्र ही करना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि हम बुढ़ापे में ही भजन करें। हमें भगवान के भजनों में निरंतर मन लगाकर भक्ति करते रहना चाहिए।