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हो सकती है निलंबन और इंक्रीमेंट काटे जाने जैसी कार्रवाई

locationसिवनीPublished: May 28, 2019 12:18:07 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

जिले के बोर्ड परीक्षा परिणाम में गिरावट, प्राचार्य, शिक्षकों पर कार्रवाई तय

seoni

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सिवनी. सिवनी जिले के ०८ छात्र-छात्राओं ने प्रदेश की मेरिट सूची में आए हैं, वहीं ०६ स्कूल ऐसे भी स्कूल हैं, जिनका परिणाम ३० प्रतिशत से भी कम है। इसी का परिणाम है कि पिछले साल की तुलना में बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम में पांच से नौ प्रतिशत तक की गिरावट आई है। अहम बात ये है कि ये परीक्षा परिणाम में फिसड्डी साबित हुए सभी शासकीय स्कूल आदिम जाति कार्य विभाग अंतर्गत आते हैं। पीछे रहने वाले ऐसे स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षकों पर कार्रवाई तय की जा सकती है।
सिर्फ एक स्कूल का परिणाम रहा शत प्रतिशत
जिले में कक्षा दसवीं में सिर्फ एक स्कूल का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। जिले के देवरी टीका स्कूल में सभी छात्र-उत्तीर्ण हुए हैं। वहीं ब्यौहारी के स्कूल का परिणाम ९६ फीसदी रहा है। अच्छे परिणाम वाले स्कूल शिक्षकों का स मान होगा। वहीं जिले के दूसरे स्कूल इन आंकड़ों को छू भी नहीं पाए हैं। ऐसे में अब स्कूल शिक्षा विभाग और अजाक विभाग ऐसे स्कूलों के शिक्षकों पर कार्रवाई की योजना बना रहा है। स्कू ल शिक्षकों पर निलंबन और इंक्रीमेंट काटे जाने जैसी कार्रवाई हो सकती है। पचास फीसदी से कम परिणाम वाले जिले के ४१ स्कूलों के स्टाफ पर कार्रवाई की जा सकती है।
बोर्ड में ३० प्रतिशत से कम रहा इनका परिणाम
एमपी बोर्ड के ३० प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले हाइस्कूलों में शिक्षा विभाग का कोई स्कूल शामिल नहीं है। सभी ०६ स्कूल आदिम जाति कार्य विभाग अंतर्गत हैं। इनमें विकासखण्ड लखनादौन का शासकीय हाइस्कूल संगईमाल है। इसका मात्र १२.९० प्रतिशत परिणाम रहा। इसी विकासखण्ड के हाइस्कूल सिरमंगनी का २०.८३ प्रतिशत। विकासखण्ड घंसौर का हाइस्कूल बगदरी का २२.४१ प्रतिशत। कुरई विकासखण्ड का हाइस्कूल विजयपानी का २४ प्रतिशत। घंसौर विकासखण्ड का हाइस्कूल पौंडी का ३० प्रतिशत। एवं हायर सेकेण्डरी के कम परिणाम वाले एकमात्र स्कूल में घंसौर विकासखण्ड का शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झिंझरई है। इसका परीक्षा परिणाम २७.५९ प्रतिशत रहा। इन सभी स्कूल प्राचार्य, शिक्षकों से जवाब-तलब हो रहा है।
संगई माल का परिणाम सबसे खराब
जिले में हाईस्कूल का सबसे कम परीक्षा परिणाम संगई माल का रहा है। जिले के संगई माल का परिणाम मात्र १२.९ फीसदी रहा है। इसके बाद सिरमंगनी, बगदरी, विजय पानी, पौंड़ी का परिणाम २० से ३० फीसदी रहा है। इसके साथ धनौरा, जामुनपानी, कौडिय़ामाल, सनाईडोंगरी, बगलई, गोरखपुर, जोगीगुफा, बरेला, भिलमा, आदेगांव, कुरई, तुलफ, करनपुर, पतरई, बा हनवाड़ा, खमरिया गोसाईं, धूमा, घंसौर, मोहगांव नागन, घूरवाड़ा, मानेगांव, गवारी का परिणाम ३० से ४० फीसदी रहा है। इसके बाद बकौड़ा, जुगरई, बेलपेठ कुरई, गोरखपुर, बरोदामाल, लखनादौन, खमरिया बाजार, धूमा, हरदुली, धनककड़ी, टुरिया, सिहोरा, कहानी और केदारपुर का परिणाम ५० फीसदी से कम रहा है।
कम परिणाम पर गिरेगी गाज –
पहले से ही शिक्षा विभाग और अजाक विभाग ने कम परिणाम के लिए पहले से ही चेतावनी दे रखी थी। इसके साथ ही बेहतर परिणाम लाने के लिए शिक्षकों के प्रोत्साहन के लिए भी कई प्रकार की घोषणाएं की थीं लेकिन परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं। दसवीं का परिणाम बीते वर्ष के मुकाबले पांच फीसदी गिरा है। अब दोनों विभाग कम परिणाम के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगेगे। २७ मई को आयुक्त की बैठक के बाद इस संबंध में और स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। फिलहाल विभाग परिणामों का विश्लेषण कर रहे हैं। कारण बताओ नोटिस का जवाब मिलने के बाद निलंबन और वेतनवृद्धि रोकने जैसी कार्रवाई हो सकती है।
बेस्ट ऑफ फाइव भी फेल –
परिणाम बेहतर करने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कई प्रयोग किए थे लेकिन इनके परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कक्षा 10वीं के रिजल्ट का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पिछले साल बेस्ट ऑफ फाइव योजना लागू की। इतना ही नहीं इस साल 10वीं के सभी विषयों में 20 अंक का प्रोजेक्ट वर्क जोड़ा गया। ऐसे में शासन की तमाम योजनाएं फेल होती नजर आ रही हैं। इस बार से 10वीं में हर विषय में 20 अंक का प्रोजेक्ट वर्क जोड़ा गया है। इसमें 80 अंक का प्रश्नपत्र व 20 अंक का प्रोजेक्ट वर्क है। जिसके अंक प्रैक्टिकल की तरह स्कूल से ही भेजे गए। इसके बावजूद रिजल्ट का प्रतिशत कम ही रहा। दूसरे स्कू लों से भी विशेषज्ञ शिक्षक पढ़ाई के लिए भेजे गए थे।
शिक्षक, प्राचार्य बता रहे हैं ये कारण –
जिले में परिणाम खराब रहने पर ठीकरा चुनावों पर फोड़ जा रहा है। इस सत्र के दौरान विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे और लोकसभा की तैयारियां जारी थीं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि परिणाम का ठीकरा चुनावों पर फोड़ा जा रहा है। शिक्षक चुनावी तैयारियों के कारण पढ़ाई न करा पाने की बात कह रहेे हैं।
इनका कहना है –
यह सही है कि कुछ शासकीय स्कूलों का परिणाम अपेक्षा के अनुसार नहीं आया है। ऐसे कम परिणाम वाले स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब लिया जाएगा। आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी।
सत्येंन्द्र मरकाम, सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग
कम परिणाम आने के कारणों को जानने का प्रयास किया जा रहा है। सम्बंधित प्राचार्य, विषय शिक्षकों से भी जानकारी ली जाएगी। कहीं-कहीं नियमित शिक्षक नहीं थे, अतिथि शिक्षक भी बीच में चले गए थे। कुछ और भी कारण रहे हैं। जवाब लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
गोपाल सिंह बघेल डीईओ, सिवनी
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