scriptजरूरत को सीमित जिसने किया उसे उतनी ही मिली शांति | The extent to which limited the need for peace | Patrika News

जरूरत को सीमित जिसने किया उसे उतनी ही मिली शांति

locationसिवनीPublished: Jul 13, 2019 11:45:07 am

Submitted by:

santosh dubey

श्रीसिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन

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जरूरत को सीमित जिसने किया उसे उतनी ही मिली शांति

सिवनी. श्रीसिद्धचक्र महामंडल विधान के मांगलिक अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य पं. जतीश चंद्र शास्त्री ने कहा कि पंच परमेष्ठी का स्मरण ऋषि महर्षियों के अमृतवाणी का पान शास्त्रों का वाचन जीवन की उत्पन्न समस्याओं पर नियंत्रण करने में सहायक बन सकते हैं। जब जीवन नियंत्रित होने लगेगा फिर धर्म के पुष्प स्वत: जीवन को महका देंगे।
संयम भवन में आयोजित महामंडल विधान पर प्रात:काल श्रीजी का प्रक्षाल, अभिषेक, पूजन पाठ एवं विधान की मांगलिक क्रियाएं शास्त्रीजी के निर्देश पर हुईं। उन्होंने भक्तों को संबोधित करे हुए आगे कहा कि अनाशक्ति की भावना जीवन को नई राह की तरफ ले चलेगी और यही मोक्ष मार्ग की पगडंडी है। उन्होंने कहा कि आज संसार में हर मानव मानसिक अशांति से परेशान है। परिग्रह बढ़ाने की होड़ ने ही मानसिक तनाव को जन्म दिया है जबकि जिन्होंने जीवन में जरूरत को सीमित किया है उसे उतनी ही शांति सहजता से मिलती है। मानसिक तनाव की जिंदगी में आत्मा का आनंद कदापि नहीं मिलता है। भौतिक पदार्थों में कभी सुख नहीं होता। भौतिकता की भूख ही आज आदमी को अपने जीवन में आत्मिक गुणों से दूर कर रही है। उन्होंने कहा कि सुखी बनना है तो इंद्रियों के गुलाम बनना छोडि़ए और जुडि़ए आत्मा के उस मूल स्वरूप से जिससे यह जीवन सार्थक बन सके। विश्वशांति की कामना से आयोजित सिद्ध चक्र महामंडल विधान में इंद्र-इंद्राणियां और भक्तजन और पाठशाला के बालकों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

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