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धान खरीदी केन्द्रों पर देर शाम तक डटे रहे किसान, केन्द्र पर माहौल रहा गर्म

locationसिवनीPublished: Jan 21, 2022 10:41:15 am

Submitted by:

akhilesh thakur

डीएसओ का दांवा, 61764 किसानों से अब तक 396265.291 मेट्रिक टन धान उपार्जित

धान खरीदी केन्द्रों पर देर शाम तक डटे रहे किसान, केन्द्र पर माहौल रहा गर्म

धान खरीदी केन्द्रों पर देर शाम तक डटे रहे किसान, केन्द्र पर माहौल रहा गर्म

सिवनी. जिले में धान खरीदी केन्द्रों पर किसानों के हाल ठीक नहीं है। अंतिम दिन देर शाम तक किसान केन्द्रों पर डटे रहे हैं। कुछ स्थानों पर धान खरीदी को लेकर केन्द्र प्रभारी व किसानों में हॉट-टॉक हुई। केन्द्र प्रभारी का कहना हैै कि जिला प्रशासन ने परिसर में आ चुके धान को खरीदने के निर्देश दिए हैं, जबकि किसान मैसेज नहीं मिलने से आक्रोशित थे।
धान खरीदी केन्द्र गोपालगंल, सीलादेही, नरेला आदि स्थानों पर किसान परेशान नजर आए। कुछ जगहों पर किसानों को टोकन दिए जाने की बात कही जा रही थी, जबकि कुछ जगह केवल किसानों को दिए जा रहे थे। खास है कि जिला खाद्य आपूर्ति विभाग व नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों के मोबाइल नंबर पर गुरुवार को संपर्क करना मुश्किल रहा। डीएसओ काल रिसीव नहीं किए, जबकि डीएम का काल लंबे समय तक व्यस्त बताता रहा।
उधर जिला आपूर्ति अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार जिले में बुधवार तक 121 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 61764 पंजीकृत किसानों से अब तक 396265.291 मेट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है। इसमें से 70.05 प्रतिशत का परिवहन कर भंडार केंद्रों में भंडारित किया जा चुका है।

सहकारिता विभाग की जांच में 24 पंजीयन मिले फर्जी, 13 ने बचे दिए धान
सिवनी. जिला खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा धोबीसर्रा में बनाए गए पंजीयन केन्द्र पर 24 लोगों ने दूसरे के खेत का रकबा आदि दस्तावेज लगाकर पंजीयन करा लिया। इसमें 13 लोगों ने धान भी बेच दिए हैं। उनका इपीओ भी जारी हो गया, लेकिन कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के आदेश पर भुगतान पर रोक लगा दिया गया है। इसकी पुष्टि सहकारिता विभाग ने की है।
सहकारिता विभाग के डिप्टी कमिश्नर अखिलेश निगम का कहना है कि जांच में 24 पंजीयन फर्जी पाए गए हैं। इसमें 13 लोगों ने धान बेच दिए हैं। शेष बेचने वाले थे, लेकिन अब उस पर रोक लगा दिया गया है। बताया कि अभी और फर्जी पंजीयन की शिकायत मिल रही है। इसकी जांच कराई जाएगी। फर्जी पंजीयन का मामला सामने आने के बाद अनुमाल लगाया जा रहा है कि इसमें राजस्व अधिकारियों की भी मिलीभगत हैं।

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