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किसान के मुरझाएं चेहरें खिले, खूब बरसे बदरा

locationसिवनीPublished: Jul 26, 2019 12:14:35 pm

Submitted by:

akhilesh thakur

किसान के मुरझाएं चेहरें खिले, खूब बरसे बदरा

The peasants' faces were freshened a lot of rainy season.

किसान के मुरझाएं चेहरें खिले, खूब बरसे बदरा

सिवनी. करीब माहभर से किसानों के माथे पर बन रही चिंता की लकरी गुरुवार को दोपहर बाद हुई झमाझम बारिश के बाद खुशी में बदल गई। किसानों के खेत में लगाए गए फसल से टूट रही उम्मीद के बीच इस बारिश ने अमृत का कार्य किया है। किसानों की माने तो सूखते फसल में अब हरियाली दिखेगी। जिनके फसल जमीन से कुछ बड़े हुए हैं वे अब उर्वरक का प्रयोग करेंगे। उर्वरक के प्रयोग से खेतों में लगे फसल तेजी से बढ़ेंगे।

किसान बारिश होने के साथ खेतों की ओर रूख कर दिए हैं। किसानों ने मेढ़ लगाकर खेतों में पानी को रोका। धान की खेती करने वाले किसान अधिक से अधिक पानी को खेत में रोकने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि करीब माहभर पानी नहीं होने से खेत में लगे मक्का और धान के फसल करीब 30 फीसदी तक प्रभावित हो चुके हैं। इस बारिश से बचे 70 फीसदी फसल को संजीवनी मिली है। यदि बारिश ने अब साथ नहीं छोड़ा तो फसल तैयार हो जाएंगे। यदि मानसून फिर लंबे समय के लिए गायब हुआ तो फसल प्रभावित होने लगेंगे। खास है कि खरीफ के अधिकांश फसल किसानों ने बरसात के भरोसे लगाए हैं। इसमें सबसे अधिक मक्का की फसल है।
शहर हुआ जलमग्न, उमस से मिली राहत
करीब माहभर से बारिश नहीं होने के कारण बढ़े उमस से आम जनमानस का जीना मुश्किल हो गया था। बारिश के बाद उसम से लोगों को राहत मिली है। उधर शहर के नीचले इलाके में पानी भर गए हैं। पानी भर जाने की वजह से लोगों की मुश्किले बढ़ गई है।
बारिश से खिले चेहरें
खैरापलारी. गुरुवार को दोपहर बाद हुई बारिश से क्षेत्र के किसानों के चेहरे खिल उठे। किसान घर से बारिश में ही खेत की ओर चल लिए। पलारी क्षेत्र कृषि के मामले में जिले में अव्वल है। इस क्षेत्र में मक्का और धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।

बारिश से किसान ने ली राहत की सांस
छपारा. क्षेत्र में बारिश के लिए मंदिर, मस्जिदों में चल रहा प्रार्थना और दुआओं का असर गुरुवार को दिखा। दोपहर बाद झमाझम बारिश हुई। बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे। बारिश नहीं होने से मक्का की फसल में कीट लगने लगे थे। खेत में लगे मक्का और धान की करीब 30 फीसदी से अधिक फसल बारिश नहीं होने से नुकसान हो चुके हैं। इस बारिश से शेष फसल को राहत मिली है।

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