सिवनी

दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान पार कर चुका है सात दशक

सिवनी पीजी कॉलेज में संविधान दिवस पर दिलाई गई शपथ

सिवनीNov 26, 2021 / 10:23 pm

akhilesh thakur

दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान पार कर चुका है सात दशक

सिंवनी. शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संविधान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्राचार्य डॉ. संध्या श्रीवास्तव ने महाविद्यालय के स्टाफ छात्र-छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर सुनाया और शपथ दिलाया। इसके उपरांत उन्होंने भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए कहा कि दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान अपने सात दशक पूरे कर चुका है। यह निरंतर विस्तार और सुधार कर रहा है। वर्ष 1947 में स्वाधीन होने के बाद राज्यों के एक संघ के तौर पर भारत ने अपना नया संविधान तैयार करना शुरू किया है।
कहा कि संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया गया था। इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर जाना जाता है। वहीं 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था। उस दिन को देश में गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। राजीतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. जोत्सना नावकर ने भारतीय संविधान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 72 वर्ष पूर्व बनकर तैयार हुए संविधान के तहत भारत संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता संपन्न समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यहां की सरकार, सेना, प्रशासनिक और न्यायिक तंत्र भारत गणराज्य के संविधान के अनुसार शासित होते हैं। केंद्रीय कार्यपालिका के संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति हैं। भारत के संविधान की धारा-79 के अनुसार केंद्रीय संसद की परिषद में राष्ट्रपति तथा दो सदन है, जिन्हें राज्यों की परिषद यानी राज्यसभा तथा लोगों का सदन यानी लोकसभा के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा-74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी। इसके प्रमुख प्रधानमंत्री कहलाते हैं। राष्ट्रपति मंत्री परिषद सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति केंद्रीय मंत्री परिषद में निहित है। इसके प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं। सहायक प्राध्यापक डॉ. मान सिंह, डॉ. सीमा भास्कर, डॉ. सविता मसीह, डॉ. सीमा मर्सकोले, डॉ. मुन्ना लाल चौरसिया, डॉ. सीएल अहिरवार व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।
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