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सिवनी

बारिश में इन रास्तों पर है खतरा, नहीं हो रहे जरूरी सुरक्षा इंतजाम

कलेक्टर ने दिए थे संभावित खतरे वाले स्थान पर इंतजाम के निर्देश

सिवनीJun 22, 2021 / 08:10 pm

sunil vanderwar

बारिश में इन रास्तों पर है खतरा, नहीं हो रहे जरूरी सुरक्षा इंतजाम

बारिश में इन रास्तों पर है खतरा, नहीं हो रहे जरूरी सुरक्षा इंतजाम

सिवनी. जिले के सभी आठ विकासखण्ड के कई इलाकों से हर वर्ष बारिश के दौरान कई जगह से कम ऊंचाई पर बने रपटा-पुलिया के डूबने से मार्ग का आवागमन बंद हो जाने और कहीं-कहीं हादसे की खबरें भी सामने आती रही हैं। ऐसे में संभावित खतरे वाले रपटा-पुलिया में सुरक्षा के जरूरी इंतजाम करने के लिए पिछले दिनों कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग ने निर्देश दिए थे, इसके बावजूद जरूरी इंतजामों में औपचारिकता की जा रही है।
मानसून जिले में दस्तक दे चुका है। हाल ही के दिनों में झमाझम बारिश भी हो चुकी है। मौसम विभाग ने इस साल अच्छी बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में आने वाले चार महीने जिले में कई स्थानों पर खतरनाक साबित हो सकते हैं। जिले में कई ऐसे पुल-पुलिया और रपटे हैं जो बिना रेलिंग के और कम ऊंचाई पर हैं और बारिश के ज्यादा होने पर डूब जाते हैं। ऐसे में इन रास्तों पर सफर काफ ी परेशानी का सबब बन सकता है। पिछले साल जिले में दो से अधिक पुल अगस्त के आखिरी दिनों की बारिश का जोर नहीं झेल पाए थे और जमींदोज हो गए थे। ये खतरनाक पुल मुसाफिरों के लिए परेशानी का सबब बन सकते है।
केवलारी शहर को पार करने के बाद मंडला-सिवनी स्टेट हाइवे पर वैनगंगा नदी पर एक विशाल पुल है। हालांकि इस पुल में रेलिंग है लेकिन दो साल पहले इस पुल के किनारे का एक बड़ा हिस्सा बह गया था जिसके बाद महीनों तक मुसाफिरों को दूसरे वैकल्पिक मार्गों से होकर आना-जाना करना पड़ा था। बाद में इस हिस्से की मरम्मत कर दी गई थी लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है।
जिले में कई स्थानों पर पुल लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। धनौरा रोड पर कुड़ारी के पास वैनगंगा नदी पर बने पुल पर बारिश के दिनों में इस पुल के ऊपर से पानी जाने लगता है। जिस कारण लोगों को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है।
सिवनी से अमरवाड़ा-मुंगवानी रोड पर मोक्षधाम के पास बना पुल जर्जर हो गया है। इस पुल में डाली गई रॉड बाहर से ही नजर आने लगीं है। सीमेंट का स्ट्रक्चर भी कई स्थानों से झड़ गया है। ऐसे में बारिश के दिनों में किसी गंभीर हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है। पुल से जब बस, डम्पर निकलते हैं तो इसमें कम्पन होती है। इस बात की जानकारी विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी है किन्तु वे इसके निर्माण के लिए कोई रूचि नहीं ले रहे हैं।
आदेगांव क्षेत्र में एनएच 44 से महज चार किमी दूरी पर स्थित ग्राम खूबी-जमकोना, बरगडा पटी, रोहिया पटी, खापा, सिलवानी, रीछा, डुंगरिया चंडाल, धवई, लडैया टोला सहित लगभग 25 से 30 ग्राम की लगभग तेरह से पंद्रह हजार जिंदगियों के कदम शेढ़ नदी की पुलिया पर उफनाते तेज पानी की बाढ के साथ ही थम जाते हैं। इसके कारण लोगों को मजबूरन अपने गांवों में ही कैद रहना पडता है। बीते वर्ष बारिश के पानी के तेज बहाव के चलते इस पुलिया के दोनों ओर की साइड पट्टियां भी बह चुकी है जिससे खतरा बढ गया है। इन ग्रामीण क्षेत्रों के बाशिंदों को स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए भी 25 से 30 किमी का सफर तय करना पडता है। मार्ग के मध्य पडने वाली शेढ़ नदी के रपटे मे थोडी सी ही बारिश मे पुलिया का पानी उफान मारने लगता है।
जिले के भोमा मु यालय के आसपास भी कई ऐसे पुल पुलिया हैं जो लोगों के लिए बारिश के दिनों में खतरे का सबब बन सकते हैं। इन्हीं में एक है समनापुर-मेहरा पिपरिया के बीच बना पुल जो काफी जर्जर हो चुका है। पिछले दिनों इस पुल के ऊपर सीमेंट का लेप कर दिया गया है लेकिन इससे पुल की जर्जर स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ा है। इसी प्रकार मुंडरई-सरेखा के बीच बना पुल है, जिसमें रेलिंग नहीं है और बारिश के दिनों में यह खतरनाक हो सकता है। झीलपिपरिया के पास स्थित एक पुल में भी रेलिंग नहीं है। भोमाटोला-पिंडरई के बीच में बना रपटा और छतरपुर-जटलापुर के बीच बना रपटा बारिश के दिनों में लोगों के लिए खतरे का सबब बन जाता है।
जिले में पिछले साल 28-29 अगस्त के दिनों में भीमगढ़ और धनौरा के पास वैनगंगा नदी में बने दो पुल बह गए थे। जिसमें से एक पुल की तो लोकार्पण भी नहीं हुआ था। उस वक्त इन पुलों को लेकर काफी शोर भी हुआ था। सिवनी से भोपाल तक बात गई थी। मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की बातें हुईं थी। कुछ पर कार्रवाई भी हुई लेकिन क्षेत्र के लोगों को अभी भी परेशान होना पड़ रहा है।
भीमगढ में वैनगंगा नदी में बना पुल पिछली बारिश में जमींदोज हो गया था। करोड़ों रुपए की लागत से बने इस पुल के धराशाई हिस्से का अब लोग बाथरूम की तरह उपयोग कर रहे हैं। लोग इस पुल के हिस्से में बैठकर नहाते है, कपड़े धोते हैं। इस पुल के बगल में प्रशासन ने एक २६ लाख रुपए की लागत से प्रधानमंत्री सड़क योजना से एक वैकल्पिक रास्ते का निर्माण किया है। आने वाले दिनों में कभी भी अच्छी बारिश की स्थिति में यह वैकल्पिक मार्ग बह सकता है। धनौरा क्षेत्र में बने और अगस्त की बारिश में बहे पुल को लेकर अबतक कोई कवायद शुरु नहीं हुई है जिसके कारण लोगों को करीब १०-१५ किमी का सफर ज्यादा से तय करना होता है।
केवलारी क्षेत्र में भी कई पुल हैं। जिनमें लोगों को बारिश के दिनों में परेशान होना पड़ता है। गोरखपुर-उगली मार्ग में बना रपटा ग्रामीणों को उगली से जोड़ता है। पढ़ाई, सेहत और दूसरे कामों से लोगों को इसी पुल के जरिए आना-जाना होता है। इसके साथ ही यहां पर बना रास्ता भी मिट्टी से भर जाता है। ग्रामीण लंबे समय से मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिलता।
अधिकारियों ने ये बताया
पीके पटवा, एसडीओ सेतु विभाग का कहना है कि बारिश के पूर्व इंतजामों को लेकर जो निर्देश मिले हैं, उनका पालन किया जा रहा है। बहरहाल सेतु विभाग में ऐसे कोई पुल नहीं हैं तो खतरनाक हों। बारिश के दिनों में हम लगातार निगरानी करते रहते हैं। किसी भी परेशानी की दशा में फौरन सुधार किया जाता है। आरएस कोरी जीएम पीएमजीएसवाई का कहना है कि बारिश के पूर्व आवश्यक रूप से निरीक्षण कर पुलों में सुरक्षा के इंतजाम देखे गए हैं। जहां जो आवश्यकता होती है, उसे प्राथमिकता से किया जाता है। हमारे क्षेत्र में ऐसा कोई मार्ग नहीं है जो खतरनाक हो। लगातार सुधार कार्य जारी रखे गए हैं। बारिश के दिनों में भी खास नजर रखी जाती है।

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