चार दिन बंकर में बिताया फिर कीव से निकली बाहर, ट्रेन, बस व पैदल चलकर पहुंची पोलैंड बॉर्डर
- छपारा की तनु ने परिजनों को बताई आपबीती, जैतपुरकला की भवानी पहुंची रोमनिया बॉर्डर
सिवनी/छपारा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपारा में पदस्थ स्टॉफ नर्स नीला मेश्राम की पुत्री तनु यूक्रेन की राजधानी कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। वह युद्ध के समय कीव में फंस गई। परिजनों के अनुसार वह जिस हॉस्टल में थी। उसमें ४०० छात्राएं थी। उनकी खुशकिस्मती से हॉस्टल के नीचे बंकर बना हुआ था, जिसमें युद्ध के दौरान सभी अंदर छुप जाती थी। परिजनों के अनुसार करीब चार दिन तनु ने बंकर में बिताए हैं।
परिजनों ने बताया कि तनु ने इसी साल मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन के कीव में एडमिशन लिया। कीव के एक हॉस्टल में रहकर वह पढ़ाई करती थी। इसबीच रूस और यूक्रेन के युद्ध शुरू हो गया। इसकी वजह से सभी बच्चे फंस गए।
युद्ध के दौैरान हॉस्टल के नीचे बंकर में छुपकर सभी इपनी जान बचाते थे। परिजनों ने बताया कि यूक्रेन शासन के निर्देशानुसार अलग-अलग सायरन बजाकर बंकर में छुपे लोगों को युद्ध और उसके बाद की जानकारी दी जाती थी। युद्ध का सायरन बजने पर सभी बंकर में जाकर छुप जाते थे। चार दिन बाद सभी कीव शहर से बाहर निकले। वे वहां ये यूक्रेन के लवयू शहर पहुंचे फिर करीब 12 किलोमीटर का सफर ट्रेन, बस व पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पहुंच गए। वहां पर बस द्वारा पोलैंड के एक होटल में सभी को रूकवाया गया और अब सभी सुरक्षित है। सभी को उनका नंबर आने पर फ्लाइट से भारत लाया जा रहा है। तनु की मां ने बताया कि बीटिया ने जब बंकर में छुपे होने की जानकारी दी तो मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गई। बताया कि पोलैंड बार्डर पहुंचने के बाद राहत मिली है। उधर जैतपुर कला निवासी भवानी के दादा रमेश बघेल ने बताया कि हमारी बीटिया रोमानिया बार्डर पहुंच गई है। वह केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम के संपर्क में है। बार्डर पर उन लोगों को एक टेंट में सोने और खाने की व्यवस्था मिल गई है। जल्द ही वह घर आएगी। प्रतिदिन चार से पांच बार बात हो रही है।