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सिवनी

घर से बेदखल कर जिंदा मां का किया त्रयोदशी संस्कार

वृद्धाश्रम में रह रही पीडि़ता ने आपबीती बताई तो बहने लगी आंसुओं की धारा

सिवनीMay 14, 2018 / 12:05 pm

santosh dubey

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संतोष दुबे, सिवनी. मां कभी भी अपने पुत्र का बुरा नहीं चाहती है। मां खुद भूखी सो सकती है, लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखा नहीं सोने देती और जिस पर मां की असीम कृपा हो जाए उसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान मिल जाता है। लेकिन जिले के विकासखण्ड छपारा के ग्राम पिण्डरई निवासी तीन पुत्रों ने डेढ़ साल पहले ममतामयी मां को घर से बेदखल ही नहीं किया अपितु कुछ माह तक मां का पता नहीं लगने पर मृत समझकर त्रयोदशी संस्कार कर कत्र्तव्यों से इतिश्री कर लिया। वृद्धाश्राम से जब बूढ़ी मां गोरखपुर में रह रही पुत्री के यहां पहुंची तब उसे इसका पता चला। इसके बाद वह वृद्धाश्रम लौट आई।
मदर्स-डे में जहां पुत्र अपनी मां को अपने-अपने तरीके से याद कर रहे हैं, वहीं नगर के बारापत्थर क्षेत्र स्थित घर, संतानों से दूर वृद्धाश्रम में रह रही माताओं ने आपबाती बताई। पिण्डरई छपारा निवासी मल्लीबाई ने बताया कि उसके तीन पुत्र-पुत्रियां हैं। आंख में जब दिखना कम हुआ और जब बच्चों का सहारा मिलना था तब संतानों ने घर से निकाल दिया। बूढ़ी मां मल्लीबाई ने बताया कि लगभग नौ माह पहले वृद्धाश्रम से जब वह ग्राम गोरखपुर रह रही पुत्री के पास पहुंची तो पता चला कि उसके पुत्रों ने आसपास पतासाजी कर मां की मृत्यु हो जाना मानकर त्रयोदशी कार्यक्रम सम्पन्न करा दिया। यह बताते हुए सीने में दर्द लिए बूढ़ी मां के आंखों से मदर्स-डे में आंसू छलक पड़े।
वृद्धाश्रम में वर्तमान में 17 वृद्धाएं और 15 वृद्ध रह रहे हैं। यहां लगभग ढाई साल से रह रही सुखमनीबाई उइके निवासी बरघाटनाका सिवनी ने बताया कि दो पुत्र-पुत्रियां हैं। पुत्रों का विवाह हो गया है बहुएं तो बहुत अच्छी हैं लेकिन पुत्र ही नशा कर अपना आपा खोने के बाद मारपीट करने लगते हैं। आए दिन मारपीट की वजह से घर से निकलना पड़ा।
विकासखण्ड कुरई के ग्राम कलबोड़ी सुकतरा निवासी सुमित्रादेवी जायसवाल (71) ने बताया कि पुत्र बिल्डिंग मटेरियल का काम करता है। उसकी शादी हो गई। एक साल हो गए लेकिन पुत्र ने मां का हालचाल जानने और उसे घर ले जाने की सुध नहीं ली।
मां नहीं चाहती पुत्र का घर बिखरे
जबलपुर के आर्डीनेंस फैक्ट्री में कार्यरत पुत्र के विवाह के बाद बहू की प्रताडऩा और पुत्र का परिवार अच्छे से चले यह सोच बूढ़ी मां जबलपुर से सिवनी के वृद्धाश्रम में रह रही है। झरना बरूवा (62) ने बताया कि उसे पुत्र से कोई परेशानी नहीं है। वह पुत्र की सलामती चाहती है। उसके घर में सुख शांति रहे। शासन के आदेश के बाद सरकारी नौकरी में कार्यरत पुत्र अगर मां-पिता को घर से निकाल देते हैं तो ऐसे पुत्र को फाइन के रूप में 10 हजार रुपए प्रतिमाह और तीन साल की सजा का प्रावधान है। उक्त आदेश आने के बाद रेलवे में नौकरी करने वाले पुत्र ने कार्रवाई से बचने के लिए वृद्धाश्राम में रह रही चंद्रा साहू (76) निवासी छिडिय़ापलारी को छह माह पहले अपने घर छिंदवाड़ा ले गया।

अब भगवान का ध्यान
अपनी संतानों से बेदखल कर वृद्धाश्रम पहुंचे बुजुर्ग अब भगवान का भजन कीर्तन, कागज में श्रीराम का नाम लिखकर धर्म कार्य में लगे हैं। पिछले माह ही वृद्धाश्राम में रह रही चार वृद्धाओं में सुखमनी उइके, मल्ली भोई, रामप्यारी उइके और मगनिया यादव के आंखों का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन की खबर इनमें से कुछ पुत्रों को मिल चुकी है, लेकिन मां का हालचाल जानने वे यहां भी नहीं पहुंचे।

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