scriptबिना टेंडर के जिला अस्पताल में शुरू हो गई वाहन पार्किंग वसूली | Vehicle parking recovery started in district hospital without tender | Patrika News

बिना टेंडर के जिला अस्पताल में शुरू हो गई वाहन पार्किंग वसूली

locationसिवनीPublished: Oct 07, 2019 08:23:13 pm

Submitted by:

santosh dubey

एक कम्पनी के कर्मचारियों ने सर्वे के नाम पर ली राशि

बिना टेंडर के जिला अस्पताल में शुरू हो गई वाहन पार्किंग वसूली

बिना टेंडर के जिला अस्पताल में शुरू हो गई वाहन पार्किंग वसूली

सिवनी. एक ओर जहां जिला अस्पताल में चहुंओर कायाकल्प हो रहा है वहीं दूसरी ओर वाहन पार्किंग के नाम पर सोमवार को बिना टेंडर के वाहन स्टैण्ड के नाम पर लोगों से रूपए वसूली शुरू कर दी गई। बाइक से 10 रुपए और साइकिल का पांच रुपए लिए जाने पर कागज की एक पर्ची थमाई जा रही है।
जिला चिकित्सालय में सोमवार को जब अस्पताल परिसर में बाइक व साइकिल लेकर कुछ मरीज व उनके परिजनों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मी, पहुंचे तो उनसे उनके वाहनों की सुरक्षा के नाम पर रुपए वसूली की गई। जिस पर कुछ लोगों ने बिना कोई सवाल-जवाब किए रुपए दे भी दिए लेकिन जब ड्यूटी पर रोज पहुंचने वाले अस्पताल के लिपिक व अन्य स्वास्थ्य कर्मी से ही रुपए मांगें गए तो विवाद की स्थिति निर्मित हो गई। पूछे जाने पर वाहन स्टैण्ड का ठेका कब हुआ, इसकी निविदा कब निकाली गई और किसी की बाइक चोरी चली जाती है या कुछ नुकसान होता है तो क्या उसे वाहन की क्षतिपूर्ति वाहन मालिक को दी जाएगी इस मामले में वाहनों के नाम पर राशि वसूलने वालें पूरी तरह से निरुत्तर हो गए।
जांच के लिए किया गया कार्य
इस मामले में सिविल सर्जन से जब पूछा गया कि वाहन स्टैण्ड का ठेका कब और किस नियम के तहत दिया गया है तो पहले तो उन्होंने इस पर पल्ला झाडा और कहा कि वे कलेक्ट्रेट मिटिंग में थे अस्पताल में इस प्रकार का ठेका किसी को नहीं दिया गया है। वहीं कुछ देर बाद उन्होंने बताया कि तीन-चार कम्पनियों से बात की गई थी। जिसके तहत एक कम्पनी के कर्मचारी पहले यह तसल्ली करने में लगे थे कि यहां एक दिन में कितने वाहन आते हैं इसके बाद ही ठेका लिया जाएगा। जिसके चलते सोमवार को उक्त ठेके के कर्मी द्वारा वाहन स्टैण्ड के नाम से राशि वसूली गई।
व्यवस्थित पार्किक की मांग
इन दिनों जिला अस्पताल का कायाकल्प हो रहा है, आसपास के जिलों के अस्पताल से भी बेहतर यहां का अस्पताल अब दिखने लगा है और इसके लिए कलेक्टर का प्रयास सतत रूप से जारी है। जिसकी सराहना सभी कर रहे हैं। इसके साथ ही अब अस्पताल परिसर में बेतरतीब ढंग से खड़े हो रहे वाहन पार्किंग को सुव्यवस्थित किए जाने की भी मांग उठने लगी है। अस्त-व्यस्त तरीके से परिसर में वाहनों के खड़े रहने से यहां उपचार कराने पहुंचने वाले मरीजों, एम्बुलेंस चालकों, स्ट्रेचर में मरीजों को अंदर ले जाने या यहां से बाहर निकालने, स्वास्थ्य कर्मी समेत सभी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जिला चिकित्सालय में मरीजों का सबसे अधिक जाना-आना पेट्रोल पम्प से बाहुबली चौक के बीच मार्ग स्थित अस्पताल के प्रवेश द्वार से होता है। अस्पताल के उक्त प्रवेश द्वार से मरीज, स्वास्थ्य कर्मी बड़ी संख्या में जाते हैं और मरीजों के लिए बाहर से दवाएं लाने के साथ अन्य खाने-पीने की सामग्रियों को लाने के लिए भी इसी प्रवेश द्वार से होता है। ऐसे में उक्त बड़े परिसर में अस्पताल के प्रवेश द्वार के पास ही बड़ी संख्या में बाइक खड़ी रहती हैं। ऐसे में एम्बूलेंस से गंभीररूप से घायलों को अस्पताल के बरामदे तक लाने के लिए स्थान नहीं मिलता है।
राजस्व का हो रहा नुकसान
इस मामले में स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि यहां दिसम्बर 2018 के पहले तक वाहनों पार्किंग की अच्छी व्यवस्था थी। लेकिन इसके बाद वाहन स्टैण्ड का ठेका खत्म हो गया। तब से लेकर अभी तक वाहन स्टैण्ड का ठेका नहीं दिया गया है। पूर्व में वाहन ठेका तीन लाख तीन हजार रुपए दिया गया था। लेकिन दस माह बीतने के बाद ठेका नहीं दिए जाने से राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है। वाहन स्टैण्ड का ठेका नहीं दिए जाने के चलते परिसर में खड़ी साइकिलें, बाइक आदि वाहनों का भगवान ही मालिक है। यहां से अनेक वाहन चोरी भी हो चुके हैं। वहीं परिसर स्थित सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं। जबकि एक सैकड़ा सीसीटवी कैमरे का टेण्डर हुआ था। वहीं कुछ ठेकेदारों का कहना है कि वाहन स्टैण्ड के लिए जिला चिकित्सालय में उचित प्रबंध भी नहीं किए हैं। वाहन को बारिश, धूप से सुरक्षित रखने के लिए शेड तक नहीं है। जिसके कारण भी लोग ठेका लेने से पीछे हट जाते हैं।
इनका कहना है
वाहन पार्किंग के लिए तीन-चार कम्पनी ने पहले सर्वे किए जाने की बात कही है जिसके तहत एक कम्पनी ने सोमवार को यहां कितने वाहन पहुंचते हैं उसकी गणना की और जो राशि एकत्रित की है उसे अस्पताल में डोनेट करने की बात कही है। इनके द्वारा ठेका नहीं लिए जाने पर शीघ्र ही आगे कुछ किया जाएगा।
डॉ. वीके नावकर, सिविल सर्जन

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